मस्तिष्क आघात जिसे ब्रेन-स्ट्रोक भी कहा जाता है अथवा आम भाषा में दिमाग की नस फटना या ब्रेन-हैमरेज भी कहते हैं. ब्रेन-हैमरेज से कुछ लोग मरते नहीं, लेकिन वे सारी उम्र के लिये अपाहिज और बेबसी वाला जीवन जीने पर मजबूर हो जाते हैं. अगर स्ट्रोक का कोई मरीज़ सक्षम अस्पताल और डॉक्टर के पास तीन घंटे के अंदर पहुंच जाए तो वह उस स्ट्रोक के प्रभाव को समाप्त (reverse) भी कर सकते हैं.
सतर्कता बस यही है कि कैसे भी स्ट्रोक के मरीज़ की तुरंत पहचान हो, उस का निदान हो और उस को तीन घंटे के अंदर डॉक्टरी चिकित्सा प्राप्त हो. स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान के लिये तीन बातें ध्यान में रखिये… और इस से पहले हमेशा याद रखिये – STR.
आप भी तीन प्रश्नों के उत्तर के आधार पर एक स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान कर, उसका बहुमूल्य जीवन बचाने में योगदान कर सकते है, इसे अच्छे से पढ़िये…
S – Smile, आप उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिये कहिए.
T – Talk, उस व्यक्ति को कोई भी सीधा सा एक वाक्य बोलने के लिये कहें जैसे कि आज मौसम बहुत अच्छा है.
R – Raise, उस व्यक्ति को दोनों बाजू ऊपर उठाने के लिये कहें.
अगर इस व्यक्ति को ऊपर लिखे तीन कामों में से एक भी काम करने में दिक्कत है, तो तुरंत ऐम्बुलैंस बुला कर उसे अस्पताल शिफ्ट करें और जो आदमी साथ जा रहा है उसे इन लक्षणों के बारे में बता दें ताकि वह आगे जा कर डाक्टर से इस का खुलासा कर सके.
स्ट्रोक का एक लक्षण यह भी है –
उस आदमी को जिह्वा (जुबान) बाहर निकालने को कहें. अगर जुबान सीधी बाहर नहीं आ रही और वह एक तरफ़ को मुड़ सी रही है तो भी यह एक स्ट्रोक का लक्षण है.
शर्तिया तौर पर आप एक बेशकीमती जान तो बचा ही सकते हैं, और यह जान आप की अपनी भी हो सकती है.