भारत की आध्यात्मिक चेतना-ज्ञान, सभ्यता-संस्कृति को झूठा सिद्ध करने की साज़िश का अंग तो नहीं तुम?

शिकागो में स्वामी विवेकानंद के कालजयी व्याख्यान की 125वीं जयंती बीती 11 सितम्बर को भारत अमेरिका समेत विश्व भर में मनाई गयी. इस दिन भारत की आध्यात्मिक चेतना, ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति के यशगान-सम्मान की गूंज पूरे विश्व में सुनी गई. लेकिन इसके ठीक दूसरे दिन 12 सितम्बर को उसी अमेरिका की धरती पर कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने भारत पर जमकर कीचड़ उछाला.

राहुल गांधी ने अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों का परिचय भारत से कराते हुए कहा कि “भारत मे लिबरल जर्नलिस्ट्स की हत्या की जा रही है, दलितों को पीटा जा रहा है, मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है. सांप्रदायिक और ध्रुवीकरण करने वाली ताकतें सिर उठा रही हैं. नफरत, गुस्सा और हिंसा हमें बर्बाद कर रहा है.”

क्या यह मात्र संयोग है कि जिस दिन पूरा विश्व भारत की आध्यात्मिक चेतना, ज्ञान सभ्यता संस्कृति का गौरवगान सम्मान के साथ कर रहा था. हिंदुत्व के प्रखर प्रवक्ता शिखर पुरूष स्वामी विवेकानंद को याद कर रहा था उसके दूसरे ही दिन एक अंतरराष्ट्रीय मंच से कांग्रेसी नेता राहुल गांधी भारत और भारत के लोगों के खिलाफ ज़हर उगल रहा था?

नहीं… यह संयोग नहीं हो सकता. यह भारत विरोधी, हिंदुत्व विरोधी ताकतों की एक साज़िश थी जिसे राहुल गांधी ने अमेरिका जाकर अमली जामा पहनाया. ताकि स्वामी विवेकानन्द के माध्यम से एक बार फिर विश्व में भारत की आध्यात्मिक चेतना, ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति के गौरवगान का क्रम प्रारम्भ ना हो.

इसके लिए यह षड्यंत्र रचा गया कि अमेरिका में एक अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत और भारतीयता पर ऐसा हमला किया जाए कि स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में दिए गए कालजयी भाषण की पावन स्मृति के माध्यम से एक बार फिर विश्व में भारत की आध्यात्मिक चेतना, ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति की जो गौरवशाली छवि पूरे विश्व में निर्मित हो रही है उस पर गम्भीर आघात कर उसे झूठा साबित किया जाए.

राहुल गांधी, यह ध्यान रखना कि इस घृणित कुत्सित साज़िश रचने वालों को देश कभी माफ नहीं करेगा.

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