भारत को नसीहत देते वक़्त ‘ब्लैक सेप्टेम्बर’ भूल गए ज़ैद!

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ज़ैद रद उल हसन जॉर्डन के राजकुमार हैं. आज उन्होने भारत के रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से बाहर करने के निर्णय को गलत कहा है. भारत के प्रतिनिधि रवि चंदर ने उनके कथन का निषेध किया है.

बहुत ज्यादा विनम्र रहे चंदर साहब. ये जॉर्डन के राजकुमार हैं, उन्हें सीधा ब्लैक सेप्टेम्बर की याद दिलानी थी.

जॉर्डन में रह रहे फिलिस्तीनी ‘शरणार्थी’ उत्पात मचा रहे थे. जॉर्डन की नाक में दम कर रखा था. 1970 में उन्होंने अपने आश्रयदाता जॉर्डन के शाह हुसैन का तख़्ता पलटकर सत्ता खींचने की ठानी.

इस पर शाह हुसैन ने पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ज़िया उल हक़ (बाद में जनरल होकर पाकिस्तान के सर्वे सर्वा बने) जो वहाँ डेप्युटेशन पर तैनात थे, उनके नेतृत्व में गैर जॉर्डन सैनिकों (वैसे सभी मुसलमान ही थे) द्वारा उन ‘शरणार्थी’ फिलिस्तीनियों से बाकायदा जंग की. तीन महीने युद्ध चला और कम से कम 25000 फिलिस्तीनी मारे गए और बाकी जॉर्डन से खदेड़े गए.

ज़ैद रद उल हसन का पद भूल जाना चाहिए, वे केवल इस्लाम का एक मुखौटा भर हैं और इस्लाम की कभी भी मुरव्वत नहीं करनी चाहिए वरना आप का नाश तय है. तीखा जवाब देते तो बोलती बंद हो जाती.

वैसे संयुक्त राष्ट्र के दिल्ली दफ्तर के सामने ज़ैद रद उल हसन के फोटो के नीचे Remember Black September before Lecturing India के पोस्टर लेकर प्रदर्शन करना चाहिए. संदेश तो जाएगा हरामखोरों को.

यह रहे लिंक्स

Black September: The Jordanian-PLO Civil War of 1970

Black September and the murder of Israel’s Olympic Athletes

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