मैं एक प्रोफेशनल गेमर हूं. मेरी विशेषता ‘वॉर गेम’ खेलने में है. बहुत पेचीदा मोड़ डाले जाते हैं ऐसे खेलों में. गोलियों की बौछार में पुल पार करना है, या चुपके से दुश्मन की छावनी में दाख़िल होना हो, दिल धड़धड़ाने लगता है. एक गेमर होने के नाते यकीन के साथ कह सकता हूं कि कोई वीडियो गेम किसी बच्चे को आत्महत्या के लिए विवश नहीं कर सकता. कतई नहीं. भारत में तो ऐसे गेमों को बच्चे जूस बनाकर पी जाते हैं.
अब चौंकने की बारी है. भैया ब्लू व्हेल नाम का कोई गेम होता ही नहीं. इस नाम का एक ही गेम अस्तित्व में है जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है. हालांकि ये व्हेल मछली का ‘सिम्युलेटर’ है. मैंने इसके लिए लंबी खोज की है और जो कुछ प्राप्त हुआ, उस आधार पर कह सकता हूं कि कम से कम भारत में ऐसा कोई गेम अब तक नहीं पाया गया है.
जब मुझे खेलने के लिए ब्लू व्हेल कहीं नहीं मिला तो एक वेबसाइट ने ख़ास ‘इम्युलेटर’ डाउनलोड करने की सलाह दी. ब्लूस्टेक्स नामक ये इम्युलेटर केवल पीसी के लिए होता है. मित्र को इस पर भी ब्लू व्हेल नामक कोई खेल प्राप्त नहीं हुआ. फिर मैंने देशभर की ख़बरों की चीरफाड़ की. कहीं से गेम बरामद होने की सूचना नहीं मिली. जब आत्महत्या हुई तो कायदे से पीसी की भी फोरेंसिक जांच हुई. क्यों नहीं मिला ब्लू व्हेल गेम.
मेरी बात का आधार क्या है. 19 अगस्त 2017 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया में खबर छपती है. कोच्चि में आईजीपी और साइबर डोम के नोडल अफसर मनोज अब्राहम कहते हैं ‘ब्लू व्हेल नाम का कोई गेम एक्जिस्ट ही नहीं करता. तिरुवनंतपुरम और कन्नूर में आत्महत्या के मामलों में गहन जांच के बाद ये बात सामने आई. इन दोनों आत्महत्याओं में जब कंप्यूटर की ‘फोरेंसिक जांच’ की गई तो उनमें गेम नहीं बरामद हुआ.
फिर भी एक सवाल रह गया है. इतनी आत्महत्याएं क्यों हो रही. आज सुबह बेंगलुरु में पुलिस ने दो कामर्स के विद्यार्थियों को ‘मोबाइल पर ‘ ये गेम खेलते हुए पकड़ा. ध्यान दिया आपने. जबकि ये गेम मोबाइल पर खेला ही नहीं जा सकता. ऐसा एक्सपर्ट कह रहे हैं. अब ये भी सुनें कि केरल के स्टेट पुलिस चीफ क्या कह रहे हैं. वे कहते हैं ‘ब्लू व्हेल कोई गेम नहीं बल्कि कुछ जानकारियां है एक चैलेंज पार करने की. ये सम्भवतः ईमेल से भेजा जा रहा है. बस यही चैलेन्ज ब्लू व्हेल है जो आत्महत्या के लिए उकसा रहा है. सिर्फ जानलेवा जानकारियों का एक कचरा.
मीडिया अब खोजी पत्रकारिता नहीं करता और उसे हम जैसों की जरूरत नहीं इसलिए हम सीधे जनता से संवाद करते हैं. किसी पत्रकार ने ब्लू व्हेल गेम डाउनलोड कर सच जानने की कोशिश ही नहीं की और झूठ को आगे बढ़ाते रहे बिना जांचे.
अपने बेटे/बेटी की ईमेल और मेमोरी चेक करें. सारा मर्ज़ वहीँ छुपा बैठा है. बस गेमची उधर से बैठे-बैठे बोलता है, ये करो, वो करो. ये कोई गेम है क्या और इसकी बात मानने वाले सामान्य मनुष्य हैं क्या?
ये चैलेन्ज वैसा ही है जैसे कभी-कभी दोस्तों में जानलेवा शर्त लग जाए. हालांकि कुछ पागल इसे सही समझ रहे हैं. मरेंगे वहीँ जिनमे आत्महत्या की इच्छा पहले से होती है, बस उकसाने की देर होती है. गेमर कभी आत्महत्या नहीं करता.
अच्छे भले जानवर को बदनाम कर दिया.