नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के नेता केएन गोविंदाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने का विरोध कर रहे प्रशांत भूषण की याचिका को चुनौती दी है.
कभी भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले गोविंदाचार्य ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश के संसाधनों पर बोझ बताया और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना. गोविंदाचार्य ने याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए रोहिंग्या मुसलमानों को चिह्नित करके उनके देश वापस भेजे जाने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ मामले में 11 सितंबर को होगी. इससे पहले अरविंद केजरीवाल के पूर्व सहयोगी और वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर भारत आने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को जबरदस्ती म्यांमार भेजे जाने का विरोध किया था.
अपनी याचिका में प्रशांत भूषण ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार की ओर से 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को जबरदस्ती म्यांमार भेजा गया, तो यह एक तरह से उन्हें काल के मुंह में डालने जैसा होगा.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले चेन्नई के एक संगठन इंडिक कलेक्टिव ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की गुहार लगाई है. संगठन ने अपनी अर्जी में कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने की इजाजत देना देश में अशांति, हंगामा और दुर्दशा को आमंत्रित करना है, लिहाजा इन्हें भारत में रहने ना दिया जाए. याचिकाकर्ता ने म्यांमार सरकार के आधिकारिक बयान का हवाला देते हुए रोहिंग्या मुसलमान को ‘इस्लामिक आतंक’ का चेहरा बताया है.
इंडिक कलेक्टिव का कहना है कि म्यांमार ने भी रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता देने से इनकार कर दिया है. इसके बाद म्यांमार में हिंसा कर ये रोहिंग्या मुसलमान भागकर भारत आ गए हैं और जम्मू- कश्मीर, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर सहित भारत में विभिन्न जगहों पर अवैध रूप से रह रहे हैं. अर्जी में रोहिंग्या मुसलमानों से संबंधित मामले में दखल देने अपील भी की गई है.
वहीं इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने रोहिंग्या मुसलमानों की चिंता करते हुए सरकार को नोटिस भेजा है कि बिना समुचित बुनियादी इंतजाम के रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार भेजना उचित नहीं है. आयोग ने सवाल उठाया है कि भारत सरकार इनको सरहद पार म्यांमार भेज दे और म्यांमार सरकार इनको स्वीकार न करे तो इनका भविष्य क्या होगा? आयोग ने इनके लिए म्यांमार सीमा पर अस्थायी शिविर, पेयजल, रोशनी और खाने का समुचित इंतजाम करने को कहा है.