पिछले कुछ दिनों से समाज सेवा में कार्यरत हूँ. अभी कुछ दिन पहले कुछ समाज से भटके और मुख्यधारा से अलग हुए लोगों से मुलाकात हुई. वे सभी अपने किये पर बहुत पछता रहे हैं और प्रायश्चित करना चाहते हैं, पर उन्हें मौका नहीं मिल रहा क्या उन्हें एक मौका नहीं दिया जाना चाहिए? क्या उन्हें दोबारा समाज मे जगह नहीं मिलनी चाहिए? क्या आप उनकी मदद नहीं करेंगे?
असलम, रईस और आशिक अभी अभी जेल से छूट कर आये हैं. ये वो भटके हुए नौजवान है जो समाज की मुख्य धारा से किन्ही कारणों से भटक गए थे.
असलम को पैसों की ज़रूरत थी, उसके चाचा के पास पैसे थे. उसी ज़रूरत के चलते उसने अपने चाचा से पैसे छीनने का प्रयास किया और इसी प्रयास में उसने अपने चाचा को चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी. अरे गलती चाचा की थी उसे पैसे दे देना चाहिए था, जब चाचा पैसे कमा रहे है तो देगा क्यों नही?
रईस और आशिक़ बेरोज़गार नौजवान थे जिनकी शादी नहीं हो पा रही थी. एक दिन इन्हें एक खूबसूरत नाबालिग लड़की दिखी जिस के साथ इन्होंने गैंग रेप किया. अब लड़कों की उम्र हो रही थी और बीवी थी नहीं, सो हो गयी गलती.
अरे, लड़की को सहानभूति दिखाते हुए उनकी मदद करनी चाहिए थी उल्टा वो उन्हें गैंग रेप के केस फंसाने और पुलिस में केस करने की धमकी देने लगी. दोनों बहुत डर गए और डर के चलते उसकी हत्या कर दी. लेकिन अब दोनों को बहुत पछतावा है और वे सुधरना चाहते हैं, क्या उन्हें सुधरने का मौका नहीं मिलना चाहिए? क्या आप इन दोनों की मदद नहीं करेंगे सुधरने में?
आप सब से अनुरोध है कि कृपया आप सिर्फ एक-एक लड़के को आश्रय दें, उन्हें अपने घर मे रखें ताकि उन्हें सुधरने का मौका मिले. वरना डर है कि वे कहीं गलत लोगों की संगत में पड़ कर दोबारा रेप और हत्या ना कर बैठें. मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे मित्र उन्हें अपने घर में जगह ज़रूर देंगे, देंगे ना? ऐसा कर के आप भक्तों, भाजपाइयों और संघियों को मुँहतोड़ जवाब दे सकते हैं.
जो लोग अपने घर में इन्हें रखने को तैयार हैं वे अपने नंबर कमेंट बॉक्स में देने का कष्ट करें, और जो लोग उन्हें अपने घर मे रखने को तैयार नहीं हैं वे कृपया मुझ से यह ज़बरदस्ती ना करें कि ऐसे मुजरिमों को मैं अपने घर में रखूं.
जिसे रोहंगिया मुसलमानों को रखना है कृपया अपने घर में रखे, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. ये देश भी मेरा घर है, कृपया उन्हें मेरे घर में ना घुसाएं, अपने घर में रखिये, ठीक है सर?