वो जहां जाते हैं, लोग उनके क़दमों में बिछ जाते हैं. उनकी शायरी के मुरीद दुनिया के कोने-कोने में फैले हुए हैं. उनके नाम से लोग हमारे शहर को जानते हैं. जनाब राहत इंदौरी. एक भारी-भरकम नाम है.
इंदौर के हैं इसलिए सभी से इज़्ज़त पाते हैं. इनका ‘हिन्दोस्तां’ वाला शे’र देश भर में बहुत कुख्यात हो गया. उनके लाखों प्रशंसकों को तो बहुत पसंद आया लेकिन हम जैसे फुरसती लोगों ने कड़ा विरोध किया. स्पष्ट था वे क्या कहना चाहते हैं. अपने शे’र में भारत का नाम लेकर किसी पर भी गोली दागी जा सकती है.
[नीली गोली-लाल गोली : निओ बनना तुम्हारे बस का नहीं]
कल फिर एक वीडियो देखा है और कल रात से ही बेचैनी का आलम है. ये एक मुशायरे की वीडियो क्लिप है. मुशायरे में राहत इंदौरी मंच से अपनी नफरत जाहिर करते साफ़ नज़र आ रहे. और क्या तल्खी से ये शे’र पढ़ा गया, जैसे एक ही वार में मोदी को क़त्ल कर दिया. स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा हो गई. पढ़ें और सुनें वो आगबबूला शे’र –
‘मैं मन की बात बहुत मन लगाकर सुनता हूं,
ये तू नहीं है, तेरा इश्तिहार बोलता है.
कुछ और काम तो जैसे उसे आता ही नहीं,
मगर वो झूठ बहुत शानदार बोलता है.
तेरी जुबान कतरना बहुत जरूरी है
तुझे मरज़ है कि तू बार-बार बोलता है.’
https://youtu.be/kg4F8kzstJk
मुद्दतों से ये वीडियो राहत साहब की वॉल की शोभा बढ़ा रहा है. न हिंदूवादियों ने देखा है न इंदौरी भाजपाइयों ने. देखा भी होगा तो इसका जिक्र वे नहीं करेंगे क्योंकि वे शिवराज के राज में बैठे हैं. लेकिन हमें तो बहुत गुस्सा आया है ये वीडियो देखकर. अपने प्रधानमंत्री का ऐसा अपमान हम से नहीं सहा जाएगा.
‘लाल गोली‘ गटकने वाले मित्रों से अनुरोध है कि इस लेख की रिकॉर्ड तोड़ शेयरिंग होनी चाहिए. जो अब भी उन्हें इंदौर का गौरव मानते हैं, वे माना करे बेशक. उनसे और उनकी निष्क्रियता से कोई शिकायत नहीं. और ये भी जानते हैं कि इंदौरी इस लेख से बीस फ़ीट की दूरी बना लेंगे.
निवेदन बस ये है कि कोई भी राहत साहब के लिए अपशब्दों का प्रयोग न करें. ऐसा करेंगे तो उनकी गलती पर पर्दा डालने का काम करेंगे. और यदि कोई बहुत बीमार हो जाए तो उस पर नाराज़ नहीं होते बल्कि फूल भेजते हैं.