प्रकृति की तरह ही राजनीति में भी कुछ भी अकारण नहीं होता. निर्मला सीतारमण का प्रथम महिला रक्षा मंत्री बनना भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक घटना है जो लम्बे समय तक याद की जाएगी.
मगर क्या इतना भर ही है इस घटनाक्रम के पीछे. सरल और सीधी लेकिन सच्ची बात कहने वाली straight and no-nonsense Nirmala Sitharaman नई महिला राजनेताओं में मेरी पसंदीदा हैं. ईमानदार और सामान्य व्यक्तित्व. जो कुछ है वो उनका अपना कमाया हुआ है. वे एक कुशल वक्ता हैं और शब्दों का चुनाव हिंदी और अंगरेजी दोनों में बेहतरीन ढंग से करती हैं. बेहद मेहनती और काम में फोकस.
मगर यह तो वो है जो निर्मला जी में दिखाई दे रहा है मगर उनके चुनाव के पीछे की रणनीति में और भी बहुत कुछ है. वे दक्षिण से हैं और उनका जन्म तमिलनाडु में हुआ है. तमिलनाडु की राजनीति में अम्मा के जाने से जो रिक्तता पैदा हुई है उसे हर पार्टी भरना चाहेगी. वहाँ असीम संभावनाएं हैं.
यही नहीं निर्मला जी का संबंध अन्य दक्षिण राज्य आंध्र, कर्नाटक और केरल से भी किसी ना किसी कारण से है और इस तरह निर्मला जी के द्वारा पूरे दक्षिण भारत में इसका राजनीतिक प्रभाव पड़ने वाला है, जहां भाजपा अगले चुनाव में अपना प्रसार करना चाहेगी. यह उसी रणनीति का हिस्सा है.
यही नहीं, उनके रक्षा मंत्री बनने से आज के महिला दौर में सम्पूर्ण नारी समाज में एक जबरदस्त संदेश गया है. अगर विश्वास ना हो तो टीवी ऑन कर देख लें या कल के अखबार की हेडलाइन पढ़ लीजिएगा, महिला सशक्तिकरण का इससे अधिक मास्टर स्ट्रोक कोई और नहीं हो सकता.
और फिर वे जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से पढ़ी हैं. इस घटनाक्रम के द्वारा देश को तोड़ने का नारा लगाने वालों को भी कड़ा सन्देश गया है और वहाँ के राष्ट्रवादी छात्रों को इससे बल मिलेगा.
निर्मला जी को महिला समझ कर कमतर आंकना सबके लिये भारी पड़ेगा. वैसे भी कितने रक्षा मंत्री हुए हैं जो सीमा पर और पर्वत की चोटियों पर जाते रहे हैं? शायद ही कोई. उन सब बीमार नेताओं से तो स्वस्थ और सक्रिय निर्मला जी कहीं बेहतर साबित होंगी. वे जब-जब सीमा पर या दुर्गम क्षेत्र में जाएंगी मीडिया की हेडलाइन बनेगी.
निर्मला जी यकीनन पहली रक्षा मंत्री हैं, इंदिरा गांधी के पास कुछ समय के लिए रक्षा मंत्रालय इसलिए था क्योंकि उन्होंने किसी को दिया नहीं था. यहां निर्मला जी को यह मंत्रालय दिया गया है और इसीलिए वो प्रथम रक्षा मंत्री हैं. यह संदेश लम्बे समय तक देश की आधी आबादी पर राज करेगा. क्या महिलाओं से बड़ा देश में कोई वोट बैंक है? देश की शक्तिशाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी में दो महिलाओं का होना एक बड़ी बात है. इसका जिक्र हर बार होगा और जब-जब होगा, यह देश की महिलाओं को प्रभावित करेगा.
कुशल राजनेता वो होता है जो परिस्थितियों को अपने पक्ष में इस्तेमाल करे. आज की तारीख में किसी ना किसी को रक्षा मंत्री तो बनाना ही था. जो कोई भी बनता, कोई नया चेहरा ही होता, मगर किसी और चेहरे के इतने फायदे नहीं होते.
सुबह तक किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री बनेंगी. दलाल मीडिया के सूत्र एक बार फिर फेल थे. मगर इस बार तो मानों इन सबको जोर का झटका जोर से लगा है. झटका सिर्फ मीडिया ही नहीं खा रहा बल्कि टीवी चैनल पर बैठने वाले दरबारी बुद्धिजीवी भी खा रहे हैं.
ये झटके अभी विपक्ष भी खायेगा. वो जितना निर्मला सीतारमण का विरोध करेगा उतना ही महिलाओं को अपना विरोधी बना लेगा. अब वो निर्मला जी के चुनाव की बड़ाई तो करने से रहा. बस इसी को कहते हैं राजनीति का मास्टर स्ट्रोक. जहां बहुत कुछ परसेप्शन से होता है. और मोदी परसेप्शन बनाने में एक बार फिर कामयाब हुए हैं. उनके भक्त गलत नहीं कहते, जहां सब दलाल-मीडिया, सेक्युलर-बुद्धिजीवी और विपक्ष की समझ समाप्त होती है, वहाँ से मोदी की शुरू होती है.