कान साफ करने की एक साधारण सी तीली चीन से आयात होती है… स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, खिलौने, प्लास्टिक का सामान आदि तो बहुत दूर की बात… और बात करते हैं चीन के बहिष्कार की?
कैसे होगा?
सीधी सी बात है स्वयं बनाएंगे तभी चीन का सामान आना बन्द होगा. दुकानदार तो भारतीय सामान बनाकर कोई भेजेगा तो दुकानदार बेचेगा भी. बहिष्कार के लिए कोई दुकानदार अपनी दुकान बन्द कर देगा? छोटी-छोटी चीजें भारत के लोग बनाते ही नहीं तो बेचारा दुकानदार क्या करे?
भारत के लोग बड़ी-बड़ी चीजें भी नहीं बनाते. भारत के लोगों को नौकरी चाहिए. शिक्षा पूरी होते ही कोई अच्छी बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनी गोद ले ले जो हर महीने खाते में लाख-दो लाख डाल दे… या फिर कम से कम 20-50 हजार ही डाल दे तो भी चलेगा…
हमें एक बॉस की तलाश है… जब ऐसा बॉस नहीं मिलता तो… तो… तो… फिर ‘बाबा’ की तलाश रहती है जो भगवान से सेटिंग करा दे और हमें मनचाही चीजें प्राप्त हो जाएँ.
और जब ऐसी छोटी-छोटी चीजें चीन से आयात होती हैं तो सरकार को पता नहीं चलता क्या?
वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण जी क्या आपको पता नहीं चलता? क्या आप कभी कान की मैल साफ नहीं करती? क्या वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, PMO India, प्रधानमन्त्री, इनके सचिव क्या कभी कान साफ नहीं करते?
मुझे लगता है ये सब लोग कभी कान साफ नहीं करते… तभी इनके कानों में बहुत मैल जमा हो गई है… तभी इनको जनता की आवाज सुनाई नहीं पड़ती. धरातल का यथार्थ सुनाई नहीं पड़ता.
हाँ, चीन को दबा दिया है आपने… इसमें कोई सन्देह नहीं… अपनी छवि और अपना आगामी चुनाव सुरक्षित कर लिया आपने… डोकलम से चीनी घुसपैठ तो नाकाम कर दी पर कानों में तो अभी भी चीन की घुसपैठ है.
और जनता? हर बात के लिए सरकार पर निर्भर क्यों रहती है? किसी ‘बाबा’ पर निर्भर क्यों रहती है? बॉस पर निर्भर क्यों रहती है? हमें कुछ न करना पड़े बस एक ऐसी नौकरी मिल जाए जिसमें महीना पूरा होने पर खाते में पैसे आ जाएँ… बस !!!