वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि नोटबंदी के नतीजे आशा के अनुरूप हैं और मध्यम तथा लंबी अवधि में इससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. आज नई दिल्ली में इंडिया समिट के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री जेटली ने कहा कि बैंकों में जो नोट जमा किए गए थो उसका मतलब यह नहीं है कि वो सब वैध धन था. वित्तमंत्री ने कहा कि नोटबंदी के समय जो अनुमान लगाया गया कि अधिक से अधिक लोग कर प्रणाली के तहत आयेंगे और इससे प्रत्यक्ष कर वसूली में मदद मिलेगी.
श्री जेटली ने कहा कि नोटबंदी का राजनीतिक स्तर पर भी व्यापक स्वागत किया गया है और इससे अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि वित्तवर्ष की तीसरी तिमाही में जब इसे लागू किया गया था तब सकल घरेलू उत्पाद पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. इसका मामूली असर चौथी तिमाही में दिखाई पड़ा.
वस्तु और सेवाकर के बारे में श्री जेटली ने कहा कि इसके लाभों के बारे में अभी से कोई अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी, लेकिन इससे मिलने वाले फायदे निश्चय ही उल्लेखनीय होंगे. वित्तमंत्री ने कहा कि जीएसटी का बाद में प्रत्यक्ष कर पर कई गुणा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि विनिर्माण पर कुछ असर पड़ा हो क्योंकि लोग जीएसटी के कारण अपना भंडार खाली कर रहे थे.
श्री जेटली ने कहा कि जीएसटी की एक ही दर लगाना न्यायसंगत नहीं होगा लेकिन सरकार को आशा है कि जीएसटी की दो मानक दरें भविष्य में एक हो सकती हैं. वित्त्मंत्री ने कहा कि अगर जीएसटी को सही ढंग से अपनाया गया तो जीएसटी परिषद अलग अलग कर दरों के आपस में विलय का निर्णय ले सकती है.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के बारे में श्री जेटली ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में वह उत्साहवर्धक नहीं रहा है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम को जल्दी ही संसद की स्वीकृति मिल जाएगी. श्री जेटली ने कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निजी कम्पनियों को आने की इजाजत दे दी है. इससे रक्षा उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी.