मुलायम सिंह यादव से कुछ सीखें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

कल Zee News पर गोरखपुर के सरकारी डॉक्टरों का स्टिंग ऑपरेशन देख रहा था. जिस अस्पताल में केवल कुछ दिनों पूर्व ही डॉक्टरों की लापरवाही से अनेक बच्चों की मृत्यु हुई है, उसी अस्पताल के डॉक्टरों को नियम कानून की धज्जियां उड़ाकर, प्रचण्ड बेशर्मी के साथ बेखौफ होकर 400 और 500 रू की फीस लेकर मरीजों को अपनी प्राइवेट क्लीनिक में लूटते हुए देखकर सोचने लगा कि इन लुटेरों पर आखिर लगाम कैसे लगे? यह सोचते ही मुझे 1990 का एक प्रकरण याद आ गया.

यह वह समय था जब मुलायम सिंह यादव ने पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला था और निरंकुश डॉक्टरों पर लगाम लगाने की कोशिश की थी. नतीजा यह निकला था कि डॉक्टरों ने अचानक ही हड़ताल की घोषणा कर दी थी.

मुलायम सिंह यादव ने हड़ताल वापसी की बहुत अपील की थी. लेकिन डॉक्टरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था. परिणामस्वरूप एक ही दिन में केवल लखनऊ मेडिकल कॉलेज में कई गम्भीर मरीज अकाल मौत मर गए थे. पूरे प्रदेश की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है. लेकिन मुलायम को समझने में डॉक्टरों से चूक हो गयी थी.

मरीजों की मौत से आगबबूला मुलायम ने हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का आदेश दे दिया था. नतीजा यह निकला था कि देर शाम के बाद हड़ताली डॉक्टरों के घरों में घुसी थी पुलिस और उनके बाल पकड़कर घसीटते हुए उन्हें घर से बाहर निकालना शुरू किया था.

इस कार्रवाई में हड़ताली महिला डॉक्टरों को भी नहीं बख्शा गया था. अंतर केवल इतना था कि उनके बाल पकड़कर उन्हें घसीटकर घर से बाहर निकालने का काम महिला पुलिसकर्मी कर रहीं थीं. बाल पकड़कर घसीटकर घर से बाहर निकालने की घटना किसी एक के साथ नहीं हुई थी. सबके साथ इसी शैली में पेश आयी थी पुलिस.

मतलब साफ है कि इसका लिखित ना सही मौखिक ही सही लेकिन विशेष आदेश उसे दिया गया था. लेकिन पुलिस की इस कार्रवाई का नतीजा यह निकला था कि मोबाइल इंटरनेट विहीन, केवल लैंडलाइन फोन वाले उस दौर में भी पूरे प्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल बिना किसी बैठक या समझौता वार्ता के ही बिना शर्त वापस हो गयी थी और कुछ घण्टों में ही पूरे प्रदेश में उसी रात को ही जिस डॉक्टर की ड्यूटी जहां थी उसने वहां अपनी ड्यूटी सम्भाल ली थी.

इसीलिए Zee News का आज का स्टिंग ऑपरेशन देखकर यह महसूस हुआ कि मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को कुछ बातें मुलायम सिंह यादव से भी सीखनी चाहिए.

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