परसों बकर ईद है. इस पर कुछ अलग बात कहनी है. दो सालों से देख रहा हूँ कि सोशल मीडिया में इस दिन मुसलमानों को अपमानित करने वाली पोस्ट्स की झड़ी लगती है. ज्यादातर लोग जीव हिंसा की बात करते हैं. कुर्बानी क्या है, कुछ लोग इस पर कहानियाँ ढूंढ लाते हैं. कोई पर्यावरण की बात करते हुए शाक का बकरा, मिट्टी का बकरा आदि कुछ पर्याय दिखाते हैं.
इससे आज तक एक भी पशु कम नहीं कटा. क्या हासिल हुआ? और आगे भी कटना बंद नहीं होने वाला, यह आप भी उतना ही जानते हैं. हम कम से कम इससे जो उपद्रव होता है उसे नियमित करने की एक ठोस कोशिश कर सकते हैं. इसी बात पर यह लेख है.
नीचे जो लिंक्स दिये हैं, खाड़ी देशों के इंग्लिश अखबारों से हैं. सब से ताजा खबर Gulf News की है 29 अगस्त 2017 की, जो कहती है कि जो कसाई, घर पर पशु काटने जाएगा उसे 2000 दिरहम का आर्थिक दंड लगेगा. अन्य खबरें पिछले सालों की हैं जो साबित करती हैं कि वहाँ यही होता है. वहां मन मर्ज़ी से आप पशु काट नहीं सकते. वहाँ सीधा पर्यावरण की बात है, घर आँगन में पशु काटकर गंदगी मत फैलाओ. बूचड़खाने ले जाइए, वहाँ सब व्यवस्था की हुए है, कटवा कर मांस ले आयें. पैसे तो दोनों जगह देने हैं, घर पे आने वाली टीम कोई मुफ्त में नहीं काटेगी. मुर्गी तक नहीं काट सकते, कचरे में पंख मिले तो आप का कचरा होने देर नहीं लगती. CCTV और फ्लाइंग स्क्वाड… सब पक्की व्यवस्था है.
और ये ऐसे इस्लामी देशों में है जहां मोहल्ले का हर घर मांसाहारी है, किसी महिला या बच्चे को अपने सामने पशु कटते देख कर कुछ नहीं होता. वहाँ सीधा बात उनके पानी की है, आप घर पर काटोगे, रक्त, मल कहाँ जाएगा? हर किसी को disposal और सफाई के लिए पर्याप्त मात्र में पानी उपलब्ध नहीं किया जा सकता. बाकी उस पानी से और क्या समस्याएँ आएगी उनकी भी चिंता है. इसलिए घर पे कुर्बानी देना अवैध करार दिया गया है.
ऐसी व्यवस्था अपने यहाँ भी की जा सकती है. घर आँगन में पशु काटने से रक्त और संबन्धित मल नि:सारण की जो समस्या आती है, लापरवाही से फेंके अवशेषों का गँधाना, उस पर कुत्ते, कौए और चीलों का जमा होना आदि सब बंद हो. अस्थायी पंडाल की भी व्यवस्था की जा सकती है जहां टेम्पररी दीवारों के पीछे पशु काटा जाएगा.
अगर लोहे की ग्रिल से बने स्टेज पर पशु काटा जाए, तो काटने के बाद रिसता रक्त नीचे बैरल में जमा होगा, जो भरने पर हटाई जाएंगी. जमीन पर गिरकर जमीन गंदा हो, फिर सफाई में सेंकड़ों लीटर पानी मिले और वो सब रक्त मिश्रित पानी नाली में जाये. जन्माष्टमी पंडालों से सफाई शुल्क लिया था तत्कालीन सरकार ने, जो कि मेरी नजर में अनुचित नहीं था. सफाई के पैसे लगते हैं, तो जिनके कारण सफाई पे खर्च हो रहा है उनसे वसूलने में कोई हर्ज नहीं. यहाँ भी खर्च वसूला जाये.
वैसे आप को ज्ञात होगा, 2016 में ढाका में ईद के दिन बहुत भारी वर्षा होने के कारण शहर में पानी जम गया. वैसे कोई बात न होती लेकिन यही यहाँ-वहाँ काटे गए पशुओं का रक्त उसमें मिलकर पूरा शहर यूं लग रहा था कि जैसे रक्त की बाढ़ आई हो. Dhaka 2016 Eid Blood Flood गूगल करें, भरपूर खबरें मिल जाएंगी विदेशों की.
अपने यहाँ ही यह बात लगभग सब मीडिया ने दबा दी थी. इंडिया टुडे ने यह खबर दी थी तो उन्होने प्रकाशित किए फोटोज़ के साथ फोटोशॉप में छेड़खानी कर के उनको झूठा ठहराने का भी प्रयास किया था भाई लोगों ने. भौत कूदेले रै भायलोगां सोशल मीडिया में कि ये देखो असल में तो गंदा पानी है और ये इंडिया टुडे वाले इस्लाम को बदनाम कर रैले एं. ऐसा कुच हुआइच नै, नै तो सबी पेपरां येईच खबर नें छापते?
उस पर इंडिया टुडे का तीखा स्टेटमेंट आया था. मजे की बात यह है कि मेरे एक घनिष्ठ मित्र ने मेरी पोस्ट शेयर की थी तो उसे, खुद को वरिष्ठ पत्रकार कहलाने वाले एक लखनवी जनाब झूठ ठहरा रहे थे. मेरी उनसे बहस हुई तो मुझे वे कहने लगे कि इंडिया टुडे ने लिखा है कि ये फोटोशॉप तस्वीरें घुमाई जा रही है. वहाँ से कॉपी पेस्ट करके दिखा रहे थे ये देखिये.
मेरी हंसी रुक नहीं रही थी, उनसे कह दिया जनाब अल्लाह के लिए इसे डिलीट कर दीजिये, यह बहस सार्वजनिक है, कल लोग पढ़ेंगे तो आप बतौर पत्रकार किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. सीधा निषेध किया है कि हम पर फोटोशॉप कराने का झूठा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है सोशल मीडिया में, हम ऐसे काम नहीं करते. आप को इंग्लिश नहीं आती इसलिए ये बिना समझे कॉपी पेस्ट कर दिये आप, सुबह लोग पढ़ेंगे (बहस रात में 12:30 से 2.00 तक चली) तो आप की पत्रकारिता पर प्रश्न उठेंगे, मुझे आप की रोजी खराब करने में कोई दिलचस्पी नहीं.
खैर, आप गूगल कर के दुनिया भर के न्यूज में इस खबर का अलग अलग कवरेज देख लीजिये और सैकड़ों अलग अलग तस्वीरे भी देख लीजिये. मिल जाएगा. कल मुंबई में भी ऐसी ही वर्षा हुई, पूरा शहर जलमय हुआ. भगवान का आभार की कल बकर ईद नहीं थी.
अगर हम बात करें, जगह जगह पड़े अवशेषों की, रक्त की, पानी में बहाये जाते रक्त आदि की फोटो और डाटा लेकर सरकार से कहें कि इसकी अरब की तरह व्यवस्था लगा दो. बस हमारे खर्चे से मत लगाना, भायलोगां अगर लाख+ के बकरे खरीद सकते हैं काटने के लिए, तो गरीब तो हैं नहीं. पैसे इनसे ही लिए जाएँ.
वैसे मैंने असदुद्दीन ओवैसी साहब के फ़ेसबुक पर कुछ महिनों पहले यह प्रस्ताव भेजा था. कुछ उत्तर नहीं आया, लेकिन अगर वे इस मामले में अगुवाई करेंगे तो सद्भाव के लिए एक सही कदम होगा.
Butchers to be fined Dh2,000 for illegal slaughtering of animals in Dubai
Eid: Police warn against illegal animal slaughter
Eid Al Adha: Dh500 fine if you slaughter animals in houses, streets
Don’t slaughter at home — municipality
Officials warn people against slaughtering animals at home
सही