आधुनिक युग के दो संत : चमत्कार नहीं दिखाया, जीवन जीना सिखाया

जितने भी बाबा देख लो, आसाराम से लेकर ‘रहीम बाबा’ तक, ये सारे आपको आशीर्वाद देते हुए मिलेंगे. इनके फोटो भी ऐसे ही बेचे जाते हैं जिसमें ये भक्तों को आशीर्वाद देकर मोक्ष प्रदान कर रहे हो.

सिर्फ दो संत ऐसे हुए है जो लोगों को मोक्ष और आशीर्वाद नहीं देते थे या देते हैं, उन्हें जीने का तरीका बताते हैं. ओशो (रजनीश) और बाबा रामदेव. ओशो तो ऐसे इकलौते संत हैं जो अपने अनुयायियों का अभिवादन हमेशा हाथ जोड़ कर करते थे ना कि आशीर्वाद बरसा कर!

एक ने ध्यान को जन-जन तक पहुँचाया और दूसरे ने योग और आयुर्वेदिक दवाओं को. ध्यान और योग के बारे में सभी बरसों से जानते है लेकिन आम लोगों को ये ‘दूर की कौड़ी’ ही लगता था. इन दोनों संतों को ध्यान और योग + आयुर्वेदिक दवाओं को तिलिस्म से बाहर निकालकर साधारण जन तक पहुँचाने का श्रेय जाता है.

हरड़, कालीपीपल, छोटी पीपली, अमलतास, बहेडा, सोंठ, मुलेठी जैसी अनगिनत जड़ीबूटियों और वनस्पतियों के नाम सबने सुने थे और ये भी सबको पता था कि कौन सी बीमारी में किसका प्रयोग करने पर फायदा होता है लेकिन सबसे पहले तो पन्सारी की दुकानों पर भटककर इन औषधियों को खरीदना फिर इनको मिलाकर दवा बनाना हर किसी के बस की बात नहीं थी.

नीम की एक दातून तोड़कर लाना ही किसी शहरी बन्दे के बस की बात नहीं थी तो ये सब तो बहुत दूर की बात है. जानते सब थे कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत फायदेमंद है. बाबा रामदेव ने हमारी इसी मुश्किल को आसान कर दिया. हर बीमारी की आयुर्वेदिक दवायें बनाकर कम से कीमत में हमारे सामने रख दी. लोगों को मुँह माँगी मुराद मिल गई. उनका काम आसान हो गया. यही है बाबा की सफलता का राज.

अब वापस आते है ओशो पर. कई कुतर्कियों के मन में एक ही सवाल गूँज रहा होगा. अरे वही ओशो .. फ्री सेक्स वाले, ‘सम्भोग से समाधि’ तक वाले? अगर आपके मन में सिर्फ यही दो सवाल है तो माफ करना .. आप ओशो को .001% भी नहीं जानते. ओशो की लिखी अनगिनत किताबों में से वो सिर्फ एक किताब है .. और हाँ .. अगर आपने वाकई में यही एक पुस्तक भी ढंग से, कायदे से, तसल्ली से पढ़ी होगी तो .. आप ये सवाल नहीं करेंगे.

ओशो अकेले ऐसे संत थे जिनके पीछे काँग्रेस सरकार पूरी ताकत से लगी हुई थी. तब पूरे देश में काँग्रेस की ही सरकार हुआ करती थी. अगर ओशो अपने आश्रम में सिर्फ सेक्स पर जोर दे रहे थे या कुछ गलत कर रहे थे तो काँग्रेस सरकार अपनी एजेंसियों के माध्यम से एक सिर्फ केस भी बनवाकर अपना हित साध सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ओशो दुनिया के अकेले ऐसे संत थे जिनके पीछे अमेरिकन खुफिया एजंसी CIA लगी हुई थी.

एक ध्यान और जीवन सिखाने वाले संत को दर्जनों ईसाई देशों ने अपने यहाँ आने पर पाबंदी लगी थी. अमेरिका के जेल में ही उन्हें लगातार धीमा ज़हर दिया गया जिससे बाद में असमय उनकी मृत्यु हो गई. ये सब कांग्रेसी सरकार की सहमति से हुआ था. ईसाई देशों और चर्च को खौफ था ओशो से कि ये आदमी तो हमारी जड़े हिला देगा. जिन्होंने ओशो को कभी नहीं पढ़ा वो उन्हें ज़रूर पढ़ें.

लेख इसलिये लिखा है कि कुछ लोगों ने बाबा रामदेव पर उँगली उठाना शुरू कर दिया है कि अगला नम्बर इनका होगा. ये लोग आशाराम और रहीम जैसे धूर्तों को तो पहचान नहीं पाये और चले हैं एक योगी पर उँगली उठाने. हद है यार बकवास की भी.

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