जब सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) और सरकारी नौकरों पर लिखा था तो बहुत लोग विरोध में आये थे, लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों से भारत में हुई घटनाओं पर नज़र डालिये तो आप पाएंगे कि भारत में नेताओं से भी बड़े बदमाश सरकारी नौकर हैं. ये सरकारी नौकर भारत को दीमक की तरह खोखला कर रहे हैं.
कहा जाता है कि डायन भी सात घर छोड़ देती है लेकिन आप सरकारी दफ्तरों में उन्हीं दफ्तरों से रिटायर होकर चक्कर लगाते लोगों को देखिये अंदाजा हो जाएगा कि इनका स्तर और सोच क्या है… जो कभी उस उस कुर्सी पर बैठकर बदमाशी करता था, वही बदमाशी उसके साथ भी हो रही है… पिछले कुछ घटनाओं पर नज़र डालिये…
झाँसी के निकट सरकारी कर्मचारियों ने एक नौजवान राहुल सिंह को वसूली का विरोध करने पर मार डाला. इन पुलिस और GRP जवानों और TT पर ही ट्रेन और यात्रियों को जिम्मेदारी से गंतव्य तक पहुँचाने की जिम्मेदारी थी और उन्होंने किया क्या – एक मासूम की जान ले ली…
गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य राजीव मिश्रा और JE वार्ड के इंचार्ज कफील अहमद खान पर बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन ऑक्सीजन सप्लायर से कमीशन के लालच में इन्होने क्या किया… उन्ही बच्चों को मौत के मुँह में डाल दिया…
[सरकारी उपक्रमों को बर्बाद करने वाली व्यवस्था से छुटकारा पाकर ही तरक्की संभव]
मुज़फ्फरनगर के रेल हादसे में पूरी रेलवे के उस टीम ने क्या किया जिसको ट्रेन का रास्ता सुचारू रखने और ट्रेन के लिए सुरक्षित रास्ता देने की जिम्मेदारी थी, लेकिन ये ही लोग अनेकों मौत के जिम्मेदार बने..
नोटबंदी के समय बैंक के अनेक कर्मचारियों ने इसको विफल कराने का काम किया और जम के पैसे बदलवाने में हेराफेरी की… जबकि इसको सफल बनाने और काला धन के खिलाफ लड़ाई लड़ने की जिम्मेदारी इनको मिली थी.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसान क़र्ज़ माफ़ी में शुरुआत ही गड़बड़ से हो रही है. 36000 करोड़ रुपये की जो किसानों कर्ज़ माफ़ी का मामला है, उसमें लेखपाल 1000 रुपया सत्यापन का और बैंक मैनेजर 5000 रुपया एप्लिकेशन फॉरवर्ड करने का मांग रहा है… सरकारी कर्मचारी फिर से दीमक की तरह किसान के नाम पर पैसा चाटने का काम कर रहे हैं…
पासपोर्ट बनाने में LIU और दरोगा बिना पैसे लिए आपकी रिपोर्ट नहीं लगाएंगे, आप चाहे जितने भी शरीफ इंसान हों. और यही लोग दाऊद, अबू सलेम, छोटा राजन, रियाज़ भटकल के कई फ़र्ज़ी पासपोर्ट पैसे के बदले बना देते हैं… भारत से ये लोग बग़दादी और अल जवाहिरी का पासपोर्ट भी बना देंगे, पैसे मिलने चाहिए …
हाईवे पर पुलिस और RTO द्वारा वसूली का नज़ारा सबने देखा होगा… इस तरह से कई कारगुजारियों की लिस्ट बना डालिये… सड़क, बिजली, पानी, हवा, छत, कपड़ा, भोजन, पढ़ाई, स्वास्थ्य या सुरक्षा… सब जगह इन लोगों ने पूरे विभाग को दीमक बन कर चाट डाला है… सरकारी नौकर अपनी जिम्मेदारी में फेल रहे हैं… भारत की विफलता और विश्व में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण सरकारी नौकर भी हैं…
सरकारी नौकरियों को समाप्त कर कॉन्ट्रक्ट पर योग्य लोगों को रखना चाहिए… ज़रा सी लापरवाही पर कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए… तभी व्यवस्था सुधरेगी वरना इन पिस्सुओं और दीमकों के दम पर भारत विश्व में लड़ाई नहीं लड़ सकता…