न्यूज़-चैनली विदूषकों, इसको कहते हैं मिलीभगत

साल 2002 में अपने साथ हुए बलात्कार की पीड़िता ने हरियाणा की तत्कालीन चौटाला सरकार से न्याय की गुहार लगाई थी और खाली हाथ वापस लौटी थी. अन्ततः उसने सितम्बर 2002 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी से न्याय की गुहार लगाई. उनके आदेश पर CBI जांच का आदेश दिया गया था.

मई 2004 में अटल जी की सरकार चली गयी थी. परिणामस्वरूप सीबीआई जांच इतनी लम्बी खिंची थी कि केस की सुनवाई सितम्बर 2013 में प्रारम्भ हो सकी थी. यानि 11 साल बाद. इस दौरान 10 वर्षों तक हरियाणा और केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी.

चार साल चले मुकदमे का फैसला 25 अगस्त को हुआ. इस दौरान लगभग तीन साल से केंद्र और हरियाणा में भाजपा की सरकार है, अर्थात CBI उसके अधीन ही है. यदि मोदी सरकार इस लफंगे रामरहीम को बचाना चाहती, उसके पक्ष में खड़ी होती तो उसे कल सज़ा नहीं हुई होती.

यह कैसे होता, भाजपा यह कैसे करती इसको इन उदाहरणों से समझिये.

पहला उदाहरण : मायावती के खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति के केस

28 सितम्बर 2010 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी वाली बेंच ने सीबीआई के वकील से पूछा था कि, क्या सीबीआई और बसपा प्रमुख (मायावती) एक साथ हैं. अगर दोनों साथ हैं तो सुनवाई की जरूरत ही क्या है. अगर सीबीआई और मायावती दोनों ही मिले हुए हैं तो इस पिटिशन को क्यों न खत्म कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के वकील से पूछ लिया था कि आप सीबीआई के वकील हैं या मायावती के?

दूसरा उदाहरण : मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले

उपरोक्त घटना कोई अपवाद नहीं थी. इससे पहले 10 फरवरी 2009 में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रही सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी.

कोर्ट ने सीबीआई से साफ कहा था कि सीबीआई केंद्र सरकार के इशारे पर कार्य कर रही है. सीबीआई के कामकाज से लगता ही नहीं कि वह इस मामले में कुछ करना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि सीबीआई केंद्र सरकार और कानून मंत्रालय के इशारे पर काम कर रही है, न कि अपने अंदाज में.

सुप्रीम कोर्ट की उपरोक्त टिप्पणियां गलत नहीं थीं. सीबीआई, मायावती और मुलायम को आय से अधिक सम्पत्ति का दोषी सिद्ध नहीं कर पायी थी, अतः दोनों नेताओं को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल गयी थी और दोनों नेता आय से अधिक सम्पत्ति के आरोप से बरी हो गए थे.

तीसरा उदाहरण : लालू यादव जैसे को दिला दी क्लीन चिट

सिर्फ माया, मुलायम ही नहीं, बल्कि जिस लालू यादव के कुनबे की हज़ारों करोड़ की सम्पत्ति आजकल उजागर हो रही है, सीबीआई ने अपनी जांच के बाद उस लालू यादव के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति होने का कोई सबूत नहीं होने की बात कहकर उसको भी सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट दिला दी थी.

राम रहीम को लेकर मुख्यमंत्री खट्टर से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक पर कीचड़ उछाल रही कांग्रेस, सपा, बसपा, कम्युनिस्ट दल और न्यूज-चैनली विदूषकों की फौज अपने गिरेबान में झांक ले तो बेहतर होगा.

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