आज रात जब हम भारत में अपने शयनकक्ष में निन्द्रादेवी का आह्वान कर रहे होंगे उस समय अमेरिका में इस शताब्दी का सवसे महत्वपूर्ण खग्रास सूर्य ग्रहण का अवलोकन कर रहे होंगे. लगभग 9 बजे से एक बजे तक अमेरिकन समय के अनुसार पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक ढाई मिनिट के लिये 70 मील के घेरे में दिन रहते हुए भी रात का नजारा नजर आने लगेगा.
वैज्ञानिकों की हजारों दुरबीने सूर्य की ओर ताकेंगी, पशु पक्षी गुमसुम हो जाएंगे. धरती के वायुमण्डल में परिवर्तन होंगे, चुम्बकीय क्षेत्र गड़बड़ा जाएगा. सूरज की किरणें चन्द्रमा को चूमती हुई जब धरती पर गिरेंगी तब उन किरणों का वैज्ञानिक अध्ययन होगा.
इसी तरह का खग्रास सूर्य ग्रहण 1980 में भारत में आया था. उस समय होलकर साइंस कालेज इन्दौर में छात्रों और शिक्षकों ने मिल कल एक विशाल अध्ययन किया था. छात्रों के एक दल ने शिक्षकों के निर्देशन में प्राणी संग्रहालय में पशु पक्षी जानवरों पर ग्रहण के प्रभावों का अध्ययन किया था.
प्रख्यात डाक्टर यशवन्त मारू और हृदय रोग विशेषज्ञ डा०अजीत जैन ने हृदय गति और रक्त चाप पर होने वाले परिवर्तनों को नापा था. कालेज की दूरबीन में फिल्टर लगाकर खग्रास सूर्य ग्रहण को सैंकडों लोगो ने देखा था.
कालेज परिसर में सैंकडों छात्र और नगर के जागरूक नागरिकों रोटरी, लायन्स और जेसीज जैसी संस्थाओं का मिलाजुला अभियान एक अदभुत दृश्य था. जन सामान्य में वैज्ञानिक जानकारी पहुँचाने का अनूठा प्रयास आज भी एक स्वपन दृश्य की तरह स्मृतिपटल पर झूम कर आनन्दित करता है.
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