दो दिन पहले गोरखपुर से एक मित्र का फोन आया. कुछ खफा से थे. कहने लगे, “मैं गोरखपुर का हूँ. BRD मेडिकल कॉलेज की नस-नस से वाकिफ हूँ. बहुत भ्रष्टाचार है. ऑक्सीजन की सप्लाई वाकई रुकी थी”.
मैंने पूछा कब रुकी? उन्होंने जवाब दिया – “11 अगस्त को…”, मेरा अगला सवाल था – ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने की वजह से उस दिन यानि 11 अगस्त कितने बच्चे मरे?
अब वो भिनाभिनाए – “आप तो आंकड़ेबाजी का खेल खेल रहे हैं…”, मैंने प्यार से समझाया कि भई, आंकड़ेबाजी नहीं कर रहा, तथ्य मने facts की बात कर रहा हूँ. उनका गोलमोल सा जवाब था – “बहुत बच्चे मरे?”
अरे भाई, बहुत मने कितने?, जवाब मिला – “बहुत सारे…”, अब अपन उखड़ गए – अबे बहुत सारे मने कितने? उन्होंने जवाब दिया – “50 – 60…”
पर अस्पताल का रिकॉर्ड तो कहता है कि 11 अगस्त को सिर्फ 7 बच्चे मरे…, उनका (कु)तर्क था – “अजी रिकॉर्ड का क्या है? वो तो manipulate हो जाता है… उसमें तो हेराफेरी हो जाती है…”
मैंने कहा कि जब बच्चा एडमिट हुआ तब तो रिकॉर्ड सही ही भरा गया होगा? जब एक बार एडमिट हो गया तो डिस्चार्ज तो करना ही पड़ेगा न? तो 11 अगस्त को उन 50 – 60 बच्चों को क्या दिखा के डिस्चार्ज किया अस्पताल ने? ज़िंदा या मृत?
अच्छा 11 अगस्त को तो तमाम देश का मीडिया टूट पड़ा था न BRD मेडिकल कॉलेज में… तो उन 50 – 60 मृत बच्चों के माँ-बाप रोते-बिलखते जब निकले होंगे तो मीडिया ने कवर तो किया होगा न? दहाड़ मार के रोती हुई महिला तो यूँ भी TRP के लिए मुफीद होती है…
क्यों नहीं दिखाया मीडिया ने उन 50 – 60 मृत बच्चों को? क्या वो मीडिया की निगाह से बच बचा के पीछे के किसी चोर दरवाज़े से निकाल दिए गए? अगर वाकई 50 – 60 बच्चे मरे 11 अगस्त को तो मीडिया ने खोजी पत्रकारिता कर उन सबको क्यों नही खोज निकाला अब तक?
अब वो धिक्कारने वाली शब्दावली पर उतर आए, “दद्दा कितना पेल्हर तौलोगे भाजपा का? काहे इतना डिफेंड करते हो?”
बेटा… facts पे आओ… बहस करो… तथ्य प्रस्तुत करो… लंतरानी मत पेलो… facts पे आओ. आज DM गोरखपुर की रिपोर्ट आई है. पुष्प सेल्स ने ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित की. पर इसका मतलब ये नहीं है कि उसने आ के पाइप की ऑक्सीजन बंद कर दी.
इसे आप सिर्फ ऐसे समझ लीजिए कि एक बनिये को आपने 6 महीने से पैसे नहीं दिए तो उसने आज आपको उधार राशन देने से मना कर दिया. पर इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं की उस दिन आपके घर-चूल्हा नहीं जला और बच्चे भूखे सोये.
जब लिक्विड ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने लगा तो अस्पताल प्रशासन ने कैसे-कैसे मांग के सप्लाई मैनेज की, इसका ब्यौरा छापा जा चुका है. मने जब आपको बनिये ने राशन देने से मना कर दिया तो आपकी बीवी कैसे-कैसे, मुहल्ले भर से मांग के आटा, नून, तेल लाई और बच्चों को बनाई, खिलायी, जियायी… ये बताया जा चुका है.
वामपंथी, सेक्यूलर्स, लिबरल्स अब भी यही चिल्ला रहे हैं कि 70 बच्चे मार दिए. ये मौतें 6 दिन में हुई और clinical reasons से हुई. गोरखपुर काण्ड और कुछ नहीं एक नया रोहित वेमुला किस्म का दुष्प्रचार है. मुझसे बहस करनी है तो तथ्यों पे कीजिये. Facts दीजिये.