आइये SUBSIDY छोड़ें, किसी गरीब के जीवन में खुशियाँ जोड़ें

एक बार पहलवानों के लिए एक सेठ जी ने पूरा बकरा भेज दिया. बड़े वाले चूल्हे पे बड़ी वाली कड़ाही चढ़ी.

पहलवानों में दो लड़के मुसलमान थे. उन्होंने सबसे पहले ये enquiry की कि झटका है या हलाल. ज़्यादातर लड़के तो ये जानते ही नहीं थे कि ये झटका हलाल क्या होता है.

हमने सेठ जी को फोन किया. भैया बताओ. झटका है या हलाल. सेठ जी ने आगे फोन घुमाया और enquiry की. बताया कि भैया ये झटका है.

ज़ाहिद पहलवान ने मना कर दिया. मैं तो जी ये नहीं खाऊंगा.
अब सारे पहलवानों का माथा ठनका.
क्यों नहीं खायेगा भाई?
मैंने उन्हें झटका हलाल का अंतर समझाया और विस्तार से बताया कि इस्लाम में सिर्फ हलाल गोश्त ही खाया जाता है.

एक लड़के ने सवाल किया? इसका मतलब हम हिन्दू झटका खाते हैं? अच्छा आज तक जो अखाड़े में बनता था जो ये रोज़ खाता था वो हलाल होता था. इसका मतलब कि हम सब आज तक हलाल खा रहे थे? साला हम हलाल खा सकते हैं? ये झटका नहीं खा सकता?

और इस मुद्दे पे अखाड़े में पहली बार लड़कों को हिन्दू मुसलमान का फर्क समझ आया. खैर, ज़ाहिद पहलवान के लिए अलग से एक किलो हलाल meat आया. और वहीं बड़े चूल्हे के बगल में ही gas पे ज़ाहिद पहलवान का meat भी पकने लगा. और गलती से बड़ी कड़ाही की कलछी किसी ने ज़ाहिद के meat में डाल दी.

ohhh …….. ये क्या किया? झटके की कलछी हलाल में डाल दी? ज़ाहिद का meat तो भ्रष्ट हो गया. ज़ाहिद पहलवान ने उस meat का परित्याग कर दिया. लड़कों ने बहुत समझाया. sorry बोला.

अबे कुछ ना होता, सिर्फ कलछी ही तो touch की है. ज़ाहिद पहलवान नहीं माना. हमने वो एक किलो भी उठा के अपनी बड़ी कड़ाही में पलट लिया.

तभी एक लड़के ने कट्टर हिन्दू लकड़बग्घे का रूप धार लिया. अब हमारा झटका क्यों भ्रष्ट किया? इसमें हलाल क्यों डाला? पर हिन्दू majority चूँकि moderate है इसलिए सबने उसे चुप करा दिया.

साले खाना है तो खा नहीं भाग ……. हमारा तो ऐसे ही बनेगा. हम ना मानते झटका हलाल.
हम इतने जाहिल कोन्या ……..

बहरहाल ये इतनी लंबी स्टोरी इसलिए सुनाई कि इस्लाम में कर्ज़ा ले के या किसी की आर्थिक सहायता ले के हज पे जाना हराम है. हज सिर्फ सक्षम लोगों के लिए है.

न जाने किस कमबख्त ने हिन्दुस्तानी मुसलामानों को हज में जहाज भाड़े में subsidy दे दी. हज की subsidy वैसी ही है जैसे किसी ने झटके की कलछी हलाल में डाल दी है.

5 – 10 हज़ार के लिए मुसलमान अपना हज भ्रष्ट कर रहे हैं. मुसलामानों को चाहिए कि जैसे हमने LPG की subsidy छोड़ दी, वो भी हज की subsidy छोड़ दें.

आइये subsidy छोड़ें, किसी गरीब के जीवन में खुशियाँ जोड़ें.

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