पहले भाग में लिखा था कि जापानी इंसेफलाइटिस यानी JE (Japanese Encephalitis) से लड़ने के लिए तत्कालीन केंद्र की अटल सरकार ने NIV (National Institute of Virology) खोलने की मंजूरी दी और 2004 में इसके लिए धन की पहली किश्त जारी कर दी जो कि नहीं जा पाई क्योंकि चुनाव घोषित हो गए. चुनाव हुए और भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर सकी, केंद्र में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और राज्य में मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने.
मुलायम राज के पूरे तीन वर्ष में NIV को जगह नहीं मिली और न ही BRD मेडिकल कॉलेज को एक्सटेंशन के लिए फण्ड दिया गया. केंद्र द्वारा फरवरी 2004 में दी गई पहली किश्त 6 करोड़ से स्पेशल JE वार्ड बना. गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ की सांसद निधि से 1.25 करोड़ और दिए गए JE वार्ड को equip करने के लिए… केंद्र सरकार के दिए गए फण्ड से पूर्वांचल के हर जिला अस्पताल में JE वार्ड बनना था लेकिन नहीं बना… राशि मिलने के बाद मुलायम सिंह का शासन 3 वर्ष रहा लेकिन BRD मेडिकल कॉलेज जूझता रहा… JE से निपटने के लिए फण्डिंग का एकमात्र सहारा योगी आदित्यनाथ की सांसद निधि ही थी…
[जापानी इंसेफलाइटिस-1 : मरीज़ पूर्वांचल में, AIIMS रायबरेली में ले उड़ीं मैडम]
उसके बाद 2007 में मायावती का राज उत्तर प्रदेश में आया. मायावती सरकार के समय JE वार्ड के लिए खूब पैसे लुटाए गए… जौनपुर में 86 लाख, महराजगंज में 77 लाख, देवरिया में 76 लाख का रिकॉर्ड खर्चा पाया गया लेकिन सिर्फ कागजों पर, कहीं कोई ऐसा वार्ड बना ही नहीं.
सबसे अधिक प्रभावित महराजगंज, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, कुशीनगर में कागजों पर JE वार्ड बने लेकिन दिखे किसी को नहीं… JE से प्रभावित बिहार के दोनों चम्पारण इलाके, मोतिहारी, सीतामढ़ी, नरकटियागंज, बेतिया का बोझ भी BRD मेडिकल कॉलेज पर ही था लेकिन BRDMC असहाय था.
केंद्र के दिए गए फण्ड से 2011 में फिर से JE वार्ड के नाम पर 5.88 करोड़ खर्च किए गए लेकिन कागज़ पर… असल में नहीं बना… उसके बाद योगी आदित्यनाथ के सांसद निधि से BRDMC को वार्ड की इक्विपमेंट खरीद के लिए पैसे दिए गए तब पुराने वार्ड के 4 वर्ष पुराने उपकरण रिपेयर हुए और कुछ नए आये.
मायावती सरकार ने भी NIV के लिए न जगह दी और न ही इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई… मायावती सरकार ने स्वास्थ्य घोटाले NRHM के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. स्वास्थ्य के नाम पर 1000 अरब रुपये का घोटाला कर डाला…
मनमोहन सिंह की अगुवाई वाले केंद्र सरकार ने 10 वर्षों में NIV के गोरखपुर प्रोजेक्ट में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. चूँकि NIV केंद्र की संस्था है ICMR के अंतर्गत आती है तो इसकी जिम्मेदारी केंद्र की बनती थी लेकिन कुछ भी न हुआ. NIV गोरखपुर को काम करने के लिए स्पेशल फण्ड नहीं मिला और ये संस्थान पुणे से मिलने वाले डिपार्टमेंटल फण्ड के भरोसे सैंपल कलेक्शन सेंटर की तरह काम करता रहा.
जब नए AIIMS बनाने की बात आई तो उसका हश्र पिछले लेख में बता ही चुका हूँ कि किस तरह गोरखपुर की जगह रायबरेली में AIIMS खोलकर सोनिया गाँधी का वफादार होने का खेल खेला गया… ये AIIMS रायबरेली सिर्फ इसलिए गोरखपुर से छीना गया क्योंकि गोरखपुर के सांसद को नीचा दिखाना था.
कुल मिलकर इस राजनीति और घोटाले के खेल में BRD मेडिकल कॉलेज के JE वार्ड के प्रत्येक बेड ने 200 मौत गिनी हैं… BRDMC इस व्यवहार से जर्जर है, लहूलुहान है और अपनी अवस्था पर आँसू बहा रहा है…
वर्तमान केंद्र सरकार ने AIIMS बनाने की घोषणा करने और अखिलेश सरकार द्वारा जगह नहीं दिए जाने के बाद अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी. इस सरकार को भी NIV को लेकर कुछ पता ही नहीं था… 10 अगस्त के बाद सारी फाइल खुली और आननफानन में ICMR को आदेश देकर NIV प्रोजेक्ट जल्द पूरा करने को कहा गया और फण्ड भी दे दिए गए हैं.
आशा की जानी चाहिए कि JE के वायरस पर जीत की पहली सीढ़ी NIV पूरी तरह से इस वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएगा… जिससे इस वायरस को पकड़ कर उसको neutralize किये जाने का उपाय तैयार किया जा सकेगा.
अभी एक भाग और…