बात आज से कोई 22 – 23 साल पुरानी है. जैसा कि कहा जाता है, बेटी के प्रति बाप का स्नेह कुछ ज़्यादा होता है, और माँ का बेटों के प्रति… सो मेरी बेटी तो मेरी ही गोद में पली बढ़ी.
बचपन में वो इतनी खुशमिजाज़ थी कि कभी रोती ही नहीं थी. और जब रोती तो गला फाड़ के… चिंघाड़ के… और ये माना जाता कि नेहा जी अगर रो रही हैं तो इसका मतलब भूख लगी है. दूध की बोतल मुंह को लगी कि चुप…
मैं उसकी रग-रग पहचानता था. एक-एक भाव पहचानता था. एक दिन मुझे आभास हुआ, बच्ची खुश नहीं है… हाव भाव से प्रसन्न नहीं है… शरीर छू के देखा तो गर्म नहीं लगा. तापमान सामान्य ही था.
15 मिनट बाद फिर लगा कि कुछ परेशान है. छाती को कान लगा के सुना… मने कान को ही Stethoscope बना लिया… छाती में हल्की सी, बहुत मामूली सी घरघराहट सुनाई दी… मैंने तुरंत धर्मपत्नी से कहा, इसे Pneumonia हो गया है, तुरंत अस्पताल चलो.
15 मिनट बाद हम अस्पताल में थे. वहां डॉ संदीप चौधरी अभिन्न मित्र थे. उनके घर ही गए सीधे. उन्होंने वहीं अपने बेडरूम में ही उपचार शुरू किया. उन्होंने बताया कि अभी इन्फेक्शन बस शुरू ही हुआ था, आपने पकड़ लिया.
सिर्फ 3 घंटे में कंट्रोल हो गया. 3 घंटे डाक्टर साहब से गप्प गपाष्टक हुई. उन्होंने दवा लिख दी. हम घर चले आये. सुबह तक बेटी स्वस्थ, प्रसन्न, प्रफुल्लित हो गयी हालांकि दवा अगले 5 दिन देते रहे.
उस दिन डॉ साहब ने मुझसे पूछा, आपको इतनी जल्दी पता कैसे चला कि बेटी बीमार है? मैंने कहा, Observation… दिन-रात गोद में रहती है. इसके हाव भाव समझता हूँ. ज़रा सा परिवर्तन आते ही पकड़ लिया.
किसी और घर में होती तो दो दिन बाद तो माँ-बाप को समझ आता कि बच्चा बीमार है. अगले दो दिन झोला छाप से इलाज कराते. तब कहीं पांचवे-छठे दिन अस्पताल पहुंचते.
गोरखपुर के BRD Referral Hospital में लाये जाने वाले ज़्यादातार बच्चे एन्सेफिलिटिस की अंतिम स्टेज में लाये जाते हैं. इसीलिए यहां मृत्य दर इतनी ज्यादा है.
जैसा कि एक चिकित्सक मित्र ने लिखा है, यदि 100 बच्चों को मस्तिष्क ज्वर हो जाये तो 50 मर जायेंगे, 30 को डॉक्टर प्रयास कर बचा तो लेंगे पर उनको कोई विकलांगता हो जाएगी और 20 किस्मत वाले हुए तो बच जाएंगे.
बीमारी अगर बिल्कुल प्रारंभिक अवस्था में पकड़ ली जाए और सही डॉक्टर से इलाज शुरू हो जाये तो बचाव हो जाता है. मोदी जी… देशवासियों को पहले तो बच्चे पालना (Parenting) सिखाइये. अपने बच्चे को जानें पहचानें तो सही… अपने बच्चे की एक एक सांस को पहचानिए…