गोरखपुर. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के BRD अस्पताल दौरे से बाद अस्पताल के वाइस प्रिंसिपल और सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर कफील खान को ड्यटी से हटा दिया गया है. इससे पहले मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को सस्पेंड कर दिया था.
मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री भी इस घटना से चिंतित हैं और उन्होंने हरसंभव मदद का भरोसा दिया है. पीएम ने स्वास्थ्य मंत्री को गोरखपुर भेजा है. पूरे मामले की जांच आवश्यक है.
गौरतलब है कि इस हादसे के तुरंत बाद ही मीडिया ने डॉ कफील को नायक के रूप में महामंडित करना शुरू कर दिया था. मीडिया के देखा देखी सोशल मीडिया पर भी कई लोगों की संवेदनाये झलक पड़ी और लोगों की पोस्ट में मानवतावादी प्रलाप का ज्वार भाटा बह निकला.
जब से मीडिया में डॉ कफील मानवता के नायक बने है तभी से सोशल मीडिया ने उनको खोजना शुरू कर दिया था और अब जो “नायक” सामने आया है, उससे तो यह आशा बलवंती होती जारही है कि यह बच्चो की मौत पर राजनैतिक पैतरेबाजी एक षडयंत्र का हिस्सा है.
डॉ कफील जो बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक्स विभाग में कार्यरत है, उनका खुद का बच्चो का अस्पताल भी है. डॉ साहब राजनीति में भी काफी मुखर है और बीजेपी विरोधी राजनीति में सक्रिय भी है.
उस पर सोने पर सुहागा यह है कि वह 2013 से बलात्कार के आरोपी भी है लेकिन राजनैतिक प्रभाव के कारण अभी तक बचे है!
कहानी यहीं तक नही है, कफील साहब मेडिकल कॉलेज की परचेज़ कमेटी में भी है और उसमें अनियमितताओ को लेकर, जांच के घेरे में है. जब जांच जोर पकड़ने लगी तो हार्ट अटैक का सहारा लेकर छुट्टी पर चले गये थे और अपना अस्पताल चला रहे थे.
दौरे के बाद योगी ने कहा कि चीफ सेकेट्री की अध्यक्षता में जांच हो रही है. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई होगी. कमेटी मौतों की वजह सामने लाएगी. सिर्फ गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में मौतों की जवाबदेही तय होगी.
उन्होंने कहा, जनता के सामने सच्चाई सामने आनी चाहिए. हम चाहते हैं कि गोरखपुर में फुल फ्लैज्ड वायरस रिसर्च सेंटर होना चाहिए. इसके लिए हमने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया है. उनकी तरफ से एक पहल भी हुई है.