हामिद अंसारी ने भारत के उपराष्ट्रपति के पद से जाते जाते जो अपनी कट्टर दकियानूसी कांग्रेसी मुस्लिम की मानसिकता का जो परिचय दिया है वह तो पूरे भारत मे विरोध, उपहास और आक्रोश का कारण बन ही रहा है लेकिन जो आज, राज्य सभा में हामिद अंसारी की विदा बेला पर, प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा पूरा शिष्टाचार निभाते हुये, मर्यादित भाषा मे, सार्वजनिक रूप से भिगो-भिगो के जूता मारा है, वह अतुलनीय है.
मोदी जी के इस साढ़े चार मिनट के संबोधन को सुने, तो यह समझ में आ जाता है कि गागर में सागर कैसे भरा जाता है और गरिमामय पद पर बैठ कर कैसे बेइज्जत किया जाता है.
मोदी जी ने इस पूरे सम्बोधन में, अंसारी के खानदान की 100 वर्ष की गाथा भी बता दी गयी है, उनके नाना और दादा का कांग्रेस के साथ जीवन यात्रा और उनका ‘खिलाफत मूवमेंट’ में योगदान भी याद दिलाया है.
उनके डिप्लोमैट होने की याद दिलाते हुये, यह भी बता दिया कि उनकी हंसी और हाथ मिलाने के अंदाज़ के पीछे के मन्तव्य को पहले से ही समझे हुये थे.
यहां, मोदी जी ने अंसारी को यह भी याद दिला दिया कि उनका सरकारी डिप्लोमैट जीवन का ज्यादा समय, मिडिल ईस्ट के देशों में कटा है और वहां से निकल कर अलीगढ़ यूनिवर्सटी और जामिया इस्लामिया में गुजरा है जहां खास तरीके के वातावरण में उनकी संगत रही है.
मोदी जी के इस छोटे संबोधन का सारांश यही है कि ‘अंसारी तुम कभी भारतीय नहीं रहे, कट्टर मुस्लिम थे, हो और रहोगे, यह मालूम है’.
पीएम ने कहा, “आपके कार्यकाल का बहुत सारा हिस्सा वेस्ट एशिया से जुड़ा रहा है. उसी दायरे में आपकी जिंदगी के बहुत सारे साल गए. उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में ऐसे लोगों के बीच में रहे. वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम भी वही रहा आपका, अल्पसंख्यक आयोग हो या अलीगढ़ यूनिवर्सिटी हो… तो एक दायरा वही रहा”.
उन्होंने कहा, “लेकिन ये 10 साल पूरी तरह से एक अलग जिम्मा आपके पास आया और पूरी तरह से संविधान और संविधान के दायरे में चलाना और आपने उसे बखूबी निभाने का प्रयास किया. हो सकता है कि कुछ छटपटाहट रही आपके अंदर भी, लेकिन आज के बाद शायद यह संकट आपको नहीं रहेगा…”!