कुछ लोग (खास कर कांग्रेस) ये कह कर मोदी सरकार की आलोचना करते हैं कि नरेंद्र मोदी के प्रधानामंतरे बनने के बाद से कश्मीर में हालात बेकाबू हो गए हैं. तो ये जान लीजिए कि पहले हालात काबू में कैसे रखे जाते थे. पहले Status Quo maintain किया जाता था… यथास्थिति बनाए रखी जाती थे… यानी – तुम हमको मत छेड़ो, हम तुमको नहीं छेड़ेंगे…तुम भी ऐश करो और हमको भी करने दो.
अलगाववादी नेता (हुर्रियत) भारत सरकार की बांह मरोड़ के सीधे-सीधे ब्लैकमेल कर पैसे वसूलते थे. पैसे दो, नहीं तो हम आगज़नी, हड़ताल, पत्थरबाज़ी और आतंकी हमले करेंगे. भारत सरकार बाकायदे वैधानिक तरीके से हज़ारों करोड़ के package कश्मीर को देती, जिसे ये डाकू मिल के हज़म कर जाते. ये तो होता था वैधानिक पैकेज.
इसके अलावा अलगाववादी हुर्रियत नेताओं को under the table यानी गुप्त रूप से सैकड़ों करोड़ रूपए सालाना दिए जाते थे और बदले में शांति खरीदी जाती थी. और ये आतंकी हमारे-आपके Tax Payer के पैसे पर ऐश अय्याशियाँ करते थे.
PDP के साथ BJP की साझा सरकार बन जाने से, BJP की सत्ता में भागीदारी से कश्मीर के आर्थिक पैकेज की लूट और बंदरबांट काफी हद तक रुक गयी है. मोदी के आने के बाद निज़ाम बदला.
शुरुआत बुरहान वानी के एनकाउंटर से हुई. तब से अब तक 124 बुरहान कुत्ते की तरह घसीट के मार दिए गए… 150 के करीब बाकी है, रोज़ाना 2-4 मारे जा रहे हैं. भारत सरकार का संकल्प है कि दिसंबर से पहले कश्मीर से आतंकी साफ कर देने है.
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NIA ने हुर्रियत की फंडिंग और हवाला रैकेट की जांच में कई नेता उठा लिए हैं और दिल्ली ले गयी है. कश्मीरी दिल्ली के नाम से हड़कता है. इस से पहले किसी हुर्रियत नेता को ज़्यादा से ज़्यादा नज़रबंद किया जाता था और श्रीनगर के निशात बाग के रिसॉर्ट में पूरी ऐशो अय्याशी का इंतज़ाम होता था.
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आज NIA ने हुर्रियत और उनके हवाला ऑपरेटरों को दिल्ली में उलटा टांग रखा है. इसके बाद उनका तिहाड़ जाना निश्चित है. कश्मीर में आम धारणा है कि जो एक बार तिहाड़ गया उसकी तो लाश भी वापस नहीं आई.
गिलानी और उसके दोनों बेटों पर तलवार लटकी हुई है. इनकी बेनामी संपत्तियों की जांच चल रही है. भारत सरकार बेरहमी से इन पर टूट पड़ी है.
भारत सरकार आज कश्मीर में आगे बढ़-बढ़ के, proactive हो के काम कर रही है. आगे बढ़ के मार रही है. घर में घुस के मार रही है. जब आप proactive होंगे तो सामने वाले को प्रतिक्रिया देना मजबूरी है.
आज कश्मीर में जो पत्थरबाजी और आतंकी गतिविधि है वो इसी proactive approach के कारण है. नाली में घुस के साफ करो तो बदबू तो उठेगी ही. इसके बाद सब साफ हो जाएगा.