आप सोच रहे होंगे कि ये बाबू भाई कौन हैं? ये राज़ खोलूं उससे पहले एक बात बताता हूं. यहां गुजरात मे जितने भी गुजराती मुस्लिम है उनके परिवार के लोग इस्लाम कबूलने के बाद कितनी पीढ़ियों तक हिंदु नाम रखते थे.
जैसे कि मोहम्मद अली जिन्नाह, जिनका असली नाम था मेमद. जी हां, उनके पिता का नाम था झिणा भाई वालजी भाई ठक्कर और दादा थे वालजी पुंजाजी ठक्कर. जिन्नाह के परदादा पुंजाजी ने इस्लाम की एक शाखा इस्माइली खोजा पंथ स्वीकार कर लिया था.
गुजरात में जो लुवाना ठक्कर जाति है वो बहुत रसूखदार और शुद्ध शाकाहारी है. इसी जाति में संतश्री जलाराम बप्पा का जन्म हुआ. जिनका धाम सौराष्ट्र का वीरपुर है. इस वीरपुर में भी अमृतसर की तरह लंगर चलता है, जिसके बारे में फिर कभी लिखूंगा.
इस जाति में जो लोग नॉनवेज खाते थे उनको समाज से बाहर निकाल दिया गया. उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया. इस परिवार में पहला इस्लामिक नाम जिन्नाह का था.
मेमद झिणा भाई ठक्कर जिन्होंने राजनीति में फेमस होने के बाद अपना नाम पूरी तरह इस्लामिक लगे ऐसा कर लिया यानी मोहम्मद अली जिन्नाह.
इसी ठक्कर खोजा जाति से विप्रो कंपनी के चेरमेंन श्री अजीम प्रेमजी है. अजीम नाम मुस्लिम है, जबकि प्रेमजी, यानी उनके पिता का नाम हिन्दू है.
ऐसे बहुत से मुस्लिम है जो आम जीवन में हिन्दू नाम रखते है और डॉक्यूमेंट में इस्लामिक नाम. मेरे बचपन के दोस्त मुनाफ के पिताजी को हम बाबू काका कह कर ही जानते थे, लेकिन अभी पता चला कि उनका नाम अब्दुल गनी था.
अब आप सोच रहे होंगे कि ये कांग्रेसी बाबूभाई कौन हैं? तो बाबूभाई कोई और नहीं, सोनिया मैडम के सलाहकार और मोदी जी के दोस्त अहमद मियां पटेल ही है.
जी हां, हमारे मोदी साहब उन्हें प्यार से बाबूभाई ही कहते है. अपने चुनावी क्षेत्र और गाँव भरूच में भी वो बाबूभाई के नाम से ही मशहूर है. आज मोदी जी के बाबूभाई, कांग्रेस मुक्त भारत मे भरपूर सहयोग दे रहे हैं.
(जिन्नाह संबंधी जानकारी मैंने बहुत साल पहले अखबार में तब पढ़ी थी, जब आडवाणी जी ने उनकी कब्र पर फूल चढ़ाए थे. उस समय जिन्नाह के बारे में बहुत कुछ छपा था. उसमें ये किस्सा भी था.)