जालंधर में नकोदर चौक के पास, एक बाज़ार के बीचोंबीच एक बहुत बड़ा मॉल बन रहा था. अब ऐसे बड़े ढाँचे के लिए, बड़ी इमारत के लिए नींव बड़ी गहरी खोदी जाती है. बेसमेंट वगैरह भी बनाये जाते है पार्किंग के लिए. सो नींव ढालने के लिए एक बहुत गहरा गड्ढा खोदा गया. जब गड्ढा खोदा जाने लगा तो अगल-बगल की इमारतों की नींव हिल गई. उनमें बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गईं. लोग अपनी दुकानें और दफ्तर छोड़ भाग खड़े हुए. अंत मे उस मॉल के साथ अगल-बगल की उन इमारतों को भी तोड़ के दोबारा बनाया गया.
जम्मू कश्मीर के दो नागरिकों ने संविधान की धारा 35A के खिलाफ न्यायालय में एक याचिका दायर की है. उनमें से एक 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से आया एक शरणार्थी है और दूसरी एक महिला.
जम्मू कश्मीर में महिलाओं के साथ उनके PRC बोले तो Permanent Resident Certificate (स्थायी निवासी प्रमाणपत्र) को ले कर बहुत बड़ा पेंच है. जम्मू कश्मीरी पुरुष अगर राज्य से बाहर कहीं भी शादी ब्याह कर ले तो उसकी पत्नी और बच्चे जम्मू कश्मीर के PR हो जाते हैं और उन्हें सारी सरकारी सुविधाएं मिलती हैं.
पर जम्मू कश्मीर की कोई महिला अगर राज्य से बाहर शादी कर ले तो राज्य में उसकी सारी संपत्ति और अधिकार उसके हाथ से चले जाते थे. वहां की महिलाओं ने अपने हक़ की लड़ाई लड़ी तो 2002 में उनका संपत्ति का अधिकार तो बहाल कर दिया गया पर उनके बच्चों को PR के लाभ आज भी नही मिलता. उनके बच्चे आज भी जम्मू कश्मीर में न कोई संपत्ति खरीद सकते हैं, न यहां के सरकारी संस्थानों में पढ़ लिख सकते हैं, न कोई छात्रवृत्ति ले सकते हैं और न कोई नौकरी.
[क़िस्सा ए जम्मू-कश्मीर : 25 हज़ार नागरिकों पर अत्याचार का कारण है धारा 35A]
अब इसे एक उदाहरण से समझिये.
फारूख अब्दुल्लाह की बेटी, ओमर अब्दुल्लाह की बहन साराह अब्दुल्लाह ने सचिन पायलट से शादी कर ली. 2002 से पहले ये स्थिति थी कि वो अपने PR status से हाथ धो बैठती. उसकी सारी संपत्ति सारे हक़ो हुक़ूक़ जाते रहते.
अब 2002 के बाद स्थिति ये है कि साराह अब्दुल्ला के पास तो अपनी संपत्ति का हक़ है पर उसके पति और बच्चों को कोई हक नही. यहां तक कि वो अपनी माँ की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति खो देंगे. आज साराह अब्दुल्लाह के पति और बच्चे जम्मू कश्मीर में न पढ़ लिख सकते हैं, न कोई नौकरी कर सकते हैं.
साराह अब्दुल्लाह तो चलो दिल्ली रहती हैं. कोई अन्य जम्मू कश्मीर की लड़की अगर दिल्ली के लड़के से शादी कर ले तो उसका पति बच्चे जम्मू कश्मीर में कुछ नही कर सकते. ऐसे में वो लड़की जम्मू कश्मीर छोड़ के बाहर कहीं सेटल होने के लिए मजबूर है.
जम्मू कश्मीर की महिलाओं के साथ ये नाइंसाफी होती है धारा 370 के कारण. धारा 370 में जम्मू कश्मीर की विधानसभा को अपने नागरिकों के PR status निर्धारित करने का अधिकार है. और धारा 370 को ये अधिकार मिला है भारतीय संविधान की धारा 35A के कारण.
सत्य ये है कि धारा 35A पूर्णतः असंवैधानिक है क्योंकि इसे कभी भारतीय संसद द्वारा पास नही किया गया. ये तो बस तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश से लागू कर दी गयी.
अब खुद जम्मू कश्मीर के लोगों-महिलाओं ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. धारा 35A के रद्द होते ही धारा 370 PRC को ले के निष्प्रभावी हो जाएगी, क्योंकि 370 को ताक़त 35A से मिलती है. मोदी सरकार प्रहार 35A पे कर रही है. आगे आप खुद समझदार हैं.