जीवन को जी लो भरपूर क्योंकि इसका कहीं से कोई Top Up नहीं होता

एक बार मेरे एक मित्र जो मुझसे उम्र में काफी छोटे थे और पढ़ने के शौकीन थे, उन्होंने मुझे एक किताब पढ़ने को दी. वो हिंदी साहित्य का एक बेहद लोकप्रिय उपन्यास है और किशोरों-युवाओं के लिए तो यूँ समझ लीजिये कि गीता बाइबिल.

उस कस्बे के सब युवा उस किताब के दीवाने थे. मुझे भी दी गयी पढ़ने को… अब कोई किताब, जिसकी इतनी तारीफ हो, उसको पढ़ना तो बनता है. मुझे किताब कतई पसंद न आई. बहुत कोशिश की… मन मार के, किसी तरह 100 पन्ने पढ़े भी… फिर अंततः हार मान ली.

मेरे वो मित्र अगले दिन आये. बेहद उत्तेजित होकर पूछा… पढ़ी किताब? मैंने कहा, Sorry यार, बहुत कोशिश करी, पूरा जोर लगाया… नहीं पढ़ पाया. निराशा उनके चेहरे पर स्पष्ट देखी जा सकती थी. ये पसंद नहीं आई???

बहुत दिन बाद मुझे समझ आया कि वो किताब मुझे क्यों समझ न आई. दरअसल वो थी एक प्रेम कथा, किशोर से युवा होते दो प्रेमियों की. और मेरी उम्र उस समय थी यही कोई 38-40 साल.

अब 40 साल का अधेड़ 18-20 साल के युवा से कितना relate करेगा? प्रेम को ले के 40 साल के आदमी का नज़रिया बदल जाता है. काश वो किताब मैंने 15 साल की उम्र में पढ़ी होती जब मुझे पहला crush हुआ था…

उसी तरह गुलज़ार साहब की फ़िल्म ‘मौसम’… उसे 25 साल का युवा समझ ही नहीं सकता. 50-55 साल का आदमी जब अपनी बीत गयी ज़िन्दगी पे नज़र दौड़ाता है, तो कैसे-कैसे ख़यालात मन में आते हैं, कुछ बातों को सोच के कितना पछतावा होता है, मन guilt से भर जाता है…

काश उस समय वो गलती न की होती… कई बार मन करता है कि ज़िन्दगी को rewind करें, और फिर से जीना शुरू करें… और अबकी वो गलतियाँ न दोहरायें… कई बार मन करता है कि मेरी बेटी, जो अब 24 साल की हो गयी है, फिर से डेढ़-दो साल की हो जाये… उसे प्यार करके अभी मन नहीं भरा…

अब इस उम्र में आ के लगता है कि एक उम्र बहुत थोड़ी होती है, जीने के लिए… अब मन करता है कि कहीं से कोई Top Up नहीं हो सकता क्या?

आज ये लेख, मैं खासकर अपने उन युवा मित्रों के लिए लिख रहा हूँ, जो अभी 20 से 25 साल के हैं. आज जो आप जी रहे हैं वो आपके जीवन का सबसे सुनहरा काल है.

पर चुनौती ये है कि इसी काल में आपको अपना करियर बनाना है, राष्ट्र, समाज और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करना है और इस जीवन को भरपूर जीना है… Bcoz you live only once… (पुनर्जन्म होगा तो अगला जीवन न जाने कहाँ होगा, किस योनि में होगा).

अपने जीवन में एक संतुलन बनाइये, आप किसी भी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते, किसी भी चीज़ की उपेक्षा नहीं कर सकते… पर फिर भी, अपने लिए समय निकालिये. Bcoz its your life… YOUR.

जिस आदमी ने ज़िन्दगी में अच्छा साहित्य नहीं पढ़ा, अच्छा संगीत नहीं सुना, दुनिया का बेहतरीन सिनेमा नहीं देखा, वो जिसे World Cinema कहते हैं, वो नहीं जो टीवी पे दिखाया जाता है… अच्छा भोजन नहीं खाया (खाना खाना सीखना पड़ता है, इसकी भी बाकायदा ट्रेनिंग होती है, इसका भी 4 साल का कोर्स होता है).

और अगर आपने दुनिया नहीं देखी… दुनिया देखना मने हवाई जहाज में या रेल के AC coach से नहीं, दुनिया देखना रेल के जनरल, स्लीपर, पैसेंजर गाड़ी, माल गाड़ी, बस ट्रक में लटक के, साईकल पे या फिर बाइक पे… Touch n Go tourism नहीं बल्कि घुमक्कड़ी… यायावरी… आवारगी…

अपने लिए समय निकालिये, अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कीजिये, और इस जीवन को भरपूर जीयें… Bcoz you live only once… समय, मुट्ठी की रेत की माफ़िक़ हाथ से फिसला जाता है… Get up, tighten your belt n pack the backpack… get going…

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