इस सप्ताह को विश्व के सारे देश स्तनपान सम्बंधित जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाएंगे.
कुछ आंकड़े आप को दे रहा हूँ कि क्यों वैज्ञानिक, चिकित्सक, विश्व स्वास्थ्य संगठन इसके लिए गम्भीर है.
1. लगभग 8.23 million शिशुओं की मृत्यु बचाई जा सकती है, शिशु के जन्म से 6 माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का दूध देने से.
2. हर साल विश्व का 3.2 billion dollar बच सकता है, जो कि शिशुओं की बीमारी, दवाओं और formula feed में खर्च हो सकता है. यह आंकड़ा विश्व GDP का 0.49 प्रतिशत है.
3. लोग 54 billion dollar हर वर्ष formula feed में खर्च कर देते हैं.
4. Reasearch में साबित हुआ कि जो बच्चे सिर्फ और सिर्फ स्तनपान पर थे शुरू के 6 माह, उनके अमीर, बुद्धिमान, और स्वस्थ रहने की सम्भावना कहीं ज़्यादा थी.
विश्व में सिर्फ 40 प्रतिशत शिशुओं को माँ का दूध मिल पाता है, जो कि दुःख की बात है.
इसका सबसे बड़ा कारण अज्ञानता और माँ को सहयोग और motivaion न मिलना है.
भारत के स्तन पान की दर विश्व में बहुत अच्छी नहीं.
बावज़ूद हमारे इस प्रचलित dialogue के कि “माँ का दूध पिया है तो आजा लड़ ले.”
इस कहावत में शिशु के माँ के दूध से ताकतवर और हिम्मती होने का निहित अर्थ छुपा है.
पिछले कुछ वर्षों में स्तनपान जागरूकता के बहुत सारे प्रयास सरकारों द्वारा किये जाने के बावज़ूद स्तनपान की दर बढ़ी नहीं है.
मीडिया को इस सम्बन्ध में सहयोग करना चाहिए.
स्तनपान के लाभ:
1. शिशु की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. मैं कहूँगा सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन शुरुआती गाढ़ा कोलोस्ट्रम है, जिसे भ्रान्ति वश फेंक दिया जाता था. कोलोस्ट्रम में बहुत से immunoglobulin होते हैं, जो कि दुनिया के किसी डब्बे के दूध में नहीं.
2. कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, fat, minerals, कैल्शियम, फॉस्फेट का समुचित अनुपात माँ के दूध में होता है.
3. बुद्धिमत्ता बढ़ाने वाले लिनोलिक, लेनोलिनिक एसिड माँ के दूध में होते हैं. 2.9 IQ point… अतिरिक्त होते हैं ऐसे शिशुओं में जिन्हें सिर्फ माँ का दूध 6 माह मिला होता है.
गाय के बछड़े को क्योंकि न तो maths पढ़ना न biology इसलिए उसमें ये समुचित नहीं होते.
4. शिशु के लिये महंगे दूध की तुलना में ये अमृत निःशुल्क है.
प्रकृति का उपहार. गरीब परिवारों पर तो ऊपर के दूध से गंभीर आर्थिक बोझ पड़ता है.
5. माँ और शिशु के बीच भावनात्मक लगाव बढ़ता है, और शिशु में जीवन भर के लिए भावनात्मक सुरक्षा का अहसास रहता है.
6. माँ को स्तन कैंसर होने की सम्भावना कम होती है. 20000 स्तन कैंसर मृत्यु को रोका जा सकता है.
7. माँ का गर्भाशय गर्भावस्था से पहले की अवस्था में ज़ल्दी आता है.
सही क्या है??
सिर्फ और सिर्फ माँ का दूध, जन्म से छः माह तक. पानी भी नहीं देना है शिशु को. जन्म घुट्टी जैसी जैसी चीज़ें भी नहीं.
कामकाजी महिलाएं दूध निकाल कर रख सकती हैं, जो कि फ्रिज़ के बीच वाले कंपार्टमेंट में 24 घंटे ठीक रहता है. फिर शिशु की केअर टेकर, नानी, दादी, पिता इसे पिला सकते हैं, चम्मच से.
भ्रांतियां:
1. माँ को लगता है, मुझे दूध कम आ रहा है.
2. मेरा फिगर ख़राब हो जायेगा.
3. डब्बे के दूध में ज़्यादा फायदा है.
4. दूध के अलावा शिशु को पानी, शहद जैसी चीज़ें देना.
5. माँ को सबकुछ न खिलाना. जैसे माँ चावल खायेगी तो शिशु को सर्दी हो जायेगी.
6. माँ रोटी खायेगी तो शिशु को पेट में गड़ेगी.
7. हरी सब्ज़ी खायेगी तो शिशु को हरे दस्त होंगे.
कुल मिला कर शिशु के जन्म पर माँ कुछ न खाये और पिता भले मुर्गा और दारू उड़ाए.
जबकि माँ को स्तनपान के समय 550 कैलोरी अतिरिक्त चाहिए होती है.
भ्रांतियां झूठ होती हैं, फिर भी मस्तिष्क में स्थापित होती हैं. क्योंकि मनुष्य से किसी भी बात को बहुत बार बहुत लोगों द्वारा कहा जाए तो वो उसे सच मान लेता है. बहुत से झूठ ऐसे ही स्थापित हो जाते हैं, मस्तिष्क में दृढ विश्चास के रूप में.
तो क्यों न हम सब मिल कर कुछ सच बोलें, बार बार, और स्थापित करें कुछ सत्यों को.
आओ सत्य की जीत के भागीदार बनें.
आओ भ्रांतियों की बेड़ी तोड़ें.
स्वस्थ शिशु
समृद्ध राष्ट्र
आपका
डॉ अव्यक्त