मेरे प्यारे देश वासियों,
चीन से देश को आगे ले जाना चाहते हो न, वाक़ई?.. तो इस संदेश को घर घर पंहुचाओ.
‘शिशु जन्म से छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का दूध देना है, पानी भी नहीं. और माँ को सम्पूर्ण संतुलित आहार देना है.’
विश्व स्तनपान सप्ताह शुरू हुआ है आज 1 अगस्त से जिसमें सभी सरकारी, सामाजिक संस्थाओं, मीडिया समूहों को लोगों को जागरुक करना है. क्यों…. क्योंकि..
जो राष्ट्र उपरोक्त पंक्तियों का अनुसरण करेगा वह बेहतर बुद्धिमत्ता, शारीरिक क्षमता और रोगप्रतिरोधकता वाली पीढ़ी का निर्माण करेगा. और बेहतर विश्व नागरिक भी हर वो शिशु बनेगा.
शिशुओं की बीमारियों और डब्बों पर अपव्यय होने वाले अरबों रुपये को बचा कर राष्ट्र समृद्ध होगा. ग़रीबी के प्रकोप से बचेगा. मात्र प्रकृति प्रदत्त अमृत के लिए माओं को, परिवारों को जागरूक करना है. राष्ट्रों की समृद्धि इस छोटे से कारक से पूरी तरह मेल खाती है.
अभी भारत में मात्र 33 प्रतिशत शिशुओं को माँ का दूध मिलता है पूरे छः माह तक. सबसे बड़ा मिथक यह है क़ि मुझे दूध कम हो रहा है. जो भी माँ बनी हैं प्रकृति उन्हें दूध अवश्य देती है. यह मनोवैज्ञानिक कारणों से होता है जिसपर विस्तार से अगले लेख में.
विश्व स्तनपान सप्ताह पर
मास्टर ट्रेनर यूनिसेफ
नोडल ऑफिसर ज़ोनल रिसर्च यूनिट
कंसलटेंट शिशु रोग विशेषज्ञ
डॉ अव्यक्त अग्रवाल