इस्लाम कबूलने की धमकी देने वाले शिक्षामित्रों को क्या हक़ है गुरु या शिक्षक कहलाने का

गुरु तेग़ बहादुर सिखों के नवें गुरु थे. उनके द्वारा रचित 115 पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं. उन्होने कश्मीरी पण्डितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया था. 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हे गिरफ्तार कर इस्लाम कबूल करने को कहा पर गुरु साहब ने कहा शीश कटा सकते है केश नहीं. 11 नवंबर, 1675 ई को दिल्ली के चांदनी चौक में काज़ी ने फ़तवा पढ़ा और जल्लाद जलालुद्दीन ने तलवार से गुरु साहिब का शीश धड़ से अलग कर दिया. किन्तु गुरु तेग़ बहादुर ने अपने मुंह से ‘सी’ तक नहीं किया. प्राण दे दिये पर धर्म नहीं छोड़ा.

गुरुद्वारा शीशगंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब उन स्थानों का स्मरण दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया. विश्व इतिहास में धर्म, शिक्षा, मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग़ बहादुर जी का स्थान विश्व इतिहास में अद्वितीय है.

उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में लंबित फैसला 25 जुलाई, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के लगभग पौने दो लाख शिक्षामित्र प्रभावित हो रहें हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर ही अपनी मुहर लगा दी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी सी राहत यह जरूर दे दी कि जो शिक्षा मित्र सहायक शिक्षक के लिए आवश्यक अहर्ता टीईटी पास है या भविष्य में पास कर लेते हैं तो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार किया जाना चाहिए.

सरकार भी उनको दो बार में यह परीक्षा पास करने का मौका दे रहीं है. किंतु पता नहीं ये कैसे गुरु या शिक्षक है जो टीईटी की परीक्षा का नाम सुनकर ही घबरा उठे है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र पूरे उत्तर प्रदेश में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं. हालांकि विरोध करना उनका संवैधानिक अधिकार है. पर प्रदर्शन के दौरान शिक्षामित्रों ने एक बेहद आपत्तिजनक और निंदनीय धमकी दी कि अगर हमें अध्यापक नहीं बनाया जाता है तो हम इस्लाम कबूल कर लेंगे. अपनी अयोग्यता और नाकरापन को छुपाने की इससे अधिक बेशर्मी भरी धमकी शायद ही कभी किसी कर्मचारी संगठन ने दी होगी. खासकर शिक्षक जो समाज में बुद्धिजीवी वर्ग माना जाता है उससे इस तरह की निम्नतर हरकत की उम्मीद किसी को नही थी.

जिस देश में सिख गुरुओं की इतनी महान परम्परा रही हो अपने धर्म और संस्कृति को बचाने के लिये जिन्होंने स्वेच्छा से सर तक कटा लिये हो. वहां मात्र टीईटी की एक परीक्षा न देने के लिये धर्म परिवर्तन की धमकी बेहद शर्मनाक हरकत है. और जो शिक्षक ऐसी हरकत कर रहे हैं उन्हें गुरु कहलाने या शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पद पर काम करनें का कोई अधिकार नहीं है.

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