एक योद्धा है. चार लाख जवानों की सुरक्षा का गुरुभार लेकर उड़ा है वह. सामने महान इंगलिश चैनल है और मौसम उड़ान के प्रतिकूल है. इसके अलावा जर्मनों की luftwaffe के युद्धक विमानों से भी जूझना है. योद्धा अपने दो साथियों के साथ चल निकला है. परों की क्षमता मापने की तरह कमांडर के निर्देश पर वह इंधन जांचता है और मंज़िल से वापिस लौटने का हिसाब लगाकर युद्ध कर सकने की अवधि तय करता है. रास्ते में ही उसके दोनों साथी दुश्मन का शिकार बन जाते हैं, पर वह बढ़ता जाता है, दुश्मन विमानों को रास्ते से हटाता जाता है. उसे Dunkirk जाना है.
द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई थी पोलैंड पर जर्मनी के आक्रमण से. इस युद्ध को और खासकर अभी लिखे जा रहे को समझने के लिए जर्मनों के पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे को समझ लेना आवश्यक है. मानचित्र देखने पर मालूम होगा कि जर्मनी के ठीक पूरब में पोलैंड है और रूस है. उसके ठीक पश्चिम में फ्रांस है और बेल्जियम है. हिटलर की सेना का फ्रांस अभियान पश्चिमी मोर्चे के युद्ध के तौर पर और रूस अभियान पूर्वी मोर्चे के युद्ध के तौर पर जाना जाता है.
तो युद्ध की शुरुआत पोलैंड पर हमले से हुई थी, लेकिन पोलैंड कभी हिटलर का असली टार्गेट था ही नहीं. उसे तो वर्साय के अपमान का बदला लेना था, और इसके लिए फ्रांस को एकदम से रगड़ देना था. फ्रांस को रौंद देना ही हिटलर का प्राथमिक लक्ष्य था. इस पर तुरंत ही अमल भी किया गया था.
जर्मनी ने पश्चिमी मोर्चे की शुरुआत भयानक ताकत से की थी. यह युद्धों के इतिहास का बेमिसाल पन्ना है. ऐसा पन्ना जो अब भी दुनिया भर के फौजी रणनीतिकारों के लिए असंख्य प्रासंगिक तथ्य परोसता है. इसी मोर्चे के युद्ध ने हिटलर की सेना को दुर्दांत ख्याति दी थी. अपराजेय, अद्भुत और अबाध गति. इंग्लैंड के ही किसी जनरल ने तारीफ में कहा था कि जर्मन फौजें टिड्डियों के झुण्ड की तरह तेज गति से आगे बढ़ती है और रास्ते में जो भी आ जाए उसे चट करते चलती है.
फ्रांस का बचा रहना इंग्लैंड की सुरक्षा के लिए जरूरी था. बेल्जियम वगैरह हिटलर के सामने मामूली शिकार थे. सो फ्रांस का मोर्चा खुलते ही वहाँ ब्रिटेन, बेल्जियम आदि देशों की फौजें भी जर्मनों के मुकाबले में उतर आई. जर्मन लगातार बढ़त बनाते गए और गठबंधन सेना पीछे भागती गयी. भागते भागते वे Dunkirk पहुँच गए. अब सामने था इंगलिश चैनल का विस्तार, जिसके कई किलोमीटर के फैलाव के बाद समन्दर के उस तरफ ब्रिटेन था, और इधर दो तरफ से जर्मन फौज उनपर चढ़ी आ रही थी.
मित्र राष्ट्रों के करीब चार लाख सैनिक Dunkirk में फंस चुके थे. उनके सामने हिटलर की आग का निवाला बन जाने का खतरा आसन्न था. ऐसे में उन चार लाख सैनिकों को वहाँ से निकालना बेहद दुरूह कार्य था. luftwaffe ने dunkirk के बंदरगाह को पहले ही बर्बाद कर दिया था. समंदर उथला होने के कारण बड़े जहाज़ों को किनारे ला पाना भी संभव नहीं था. उस हालात में रॉयल नेवी और रॉयल एयरफोर्स द्वारा उन सैनिकों को वहाँ से सुरक्षित निकाल लेने की ही कहानी है फिल्म Dunkirk.
इस तरह की फिल्मों में जो सबसे सावधानी की जरूरत होती है वह है पॉलिटिकली करेक्ट होने की कोशिश नहीं करना, और Factually-Technically करेक्टनेस को शुद्ध रखना. अपने यहाँ लोग जब एयरलिफ्ट बनाते हैं तो भावातिरेक में बह जाते हैं, द गाजी अटैक बनाते हैं तो देशभक्ति झलकाने का सारा जिम्मा संवादों के हिस्से छोड़ देते हैं. यह सब बड़ी गलतियाँ हैं. Dunkirk के निर्देशक इन पैमानों पर पूरी तरह दुरुस्त निकले हैं.
फिल्म का आखिरी दृश्य है. लगातार कई जहाज जर्मनों द्वारा डुबोया जा चुका है. अंग्रेज फौजी अफसर हताश हैं. ऐसे में सिविलियन नावों और जहाज़ों का बेडा मदद को पहुँचता है. मुर्दनगी का चेहरा बने जवान जश्न मनाने लगते हैं. ठीक तभी बादलों को चीरते हुए एक आवाज़ आती है, सबकी जानी-पहचानी आवाज़, मौत की आवाज़, luftwaffe के युद्धक विमान की आवाज़. महज एक विमान ने सबके होश पाखते कर दिए हैं, और तभी वह योद्धा बादलों पर तैरता नजर आता है.
उसके विमान का इंधन ख़त्म हो चुका है. इंजन बंद करके वह परवाज कर रहा है. इस स्थिति में भी वह luftwaffe के इस अंतिम विमान को शिकार बनाता है. किसी साफ़ आसमान में कई किलोमीटर ऊपर शान से बांह फैलाए उड़ते बाज की तरह वह मानो बता रहा होता है कि आसमान की हुकूमत उसी की है, कि पर कमजोर भी हो जाएँ तो उड़ान की शान कम नहीं हो जाती. इस योद्धा के हिस्से में पूरे फिल्म में बमुश्किल चार-पांच पंक्ति का संवाद आया है, वे भी बेहद मामूली, पर जब सिनेमा देखकर निकलियेगा तो ज़ेहन आसमान मिलेगा, और वह बंद इंजन में भी उड़ान भरता…
बाकी, हम कोई फिल्म समीक्षक हैं नहीं. लिखना भी कुछ ख़ास हमको आता नहीं है. पढ़ ठीक-ठाक लेते हैं. यूँ तो सारा इतिहास ही मेरा, पर द्वितीय विश्व युद्ध से कुछ अधिक लगाव है. बैटल ऑफ़ dunkirk की महत्ता बस इस बात से जान लीजिये आप लोग कि ब्रिटेन ने इसमें अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, और जब मित्र राष्ट्रों की सेना वहाँ से भागी तो अपने पीछे युद्धक सामग्रियों का जखीरा छोड़ आई थी. 880 फील्ड गन, लम्बे कैलिबर वाले 310 बन्दूक, 500 एंटी एयरक्राफ्ट गन, 850 एंटी टैंक गन, 11 हजार मशीन गन, 700 टैंक, 20 हजार मोटरसाइकिल, 45 हजार ट्रक; इतना कुछ और साथ में भारी मात्रा में गोला-बारूद हिटलर को चर्चिल ने dunkirk में उपहार दिया था. इतना आयुध ब्रिटिश फ़ौज के दस डिवीज़न के लिए पर्याप्त था. ब्रिटेन के पास तब शेष इतना ही आयुध बच पाया था कि किसी तरह से दो डिवीज़न को साजो सामान से लैस किया जा सके.
(तस्वीरों में ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स का स्पिटफायर युद्धक विमान. Dunkirk में ब्रिटेन ने इसका व्यापक इस्तेमाल किया था और यह विमान ही luftwaffe की सही काट साबित हो पाया था.)