नई दिल्ली. राज्यसभा में समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मुद्दे पर गुरुवार को सत्ता पक्ष और विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई जिसमें सत्ता पक्ष के सदस्यों ने पूर्ववर्ती सरकार पर इस मामले में पाकिस्तान की भूमिका को दबाने का आरोप लगाया.
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए भाजपा के विकास महात्मे ने कहा कि 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट हुआ था. हाल ही में इस ट्रेन विस्फोट मामले को लेकर हुए एक नार्को टेस्ट का एक वीडियो एक टीवी चैनल पर दिखाया गया जिसमें आरोपी डेविड कोलमेन हेडली ने माना कि पाकिस्तान की संलिप्तता की वजह से यह विस्फोट हुआ. हेडली ने कहा था कि विस्फोट में पाकिस्तान की पूरी भूमिका थी.
महात्मे ने कहा कि नई दिल्ली और पाकिस्तान के लाहौर के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट पाक स्थित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और सिमी ने मिल कर कराया था. बहरहाल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और तत्कालीन संप्रग सरकार ने मिल कर एक नया शब्द ‘हिंदू आतंकवाद’ गढ़ दिया. उन्होंने कहा ‘‘तत्कालीन संप्रग सरकार ने देश के साथ छल किया.’’
उन्होंने इस मामले में पूर्ववर्ती सरकार पर पाकिस्तान की भूमिका को दबाने का आरोप लगाया. इस मुद्दे पर भाजपा के ही सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि सदन को यह जानने का अधिकार है कि क्या यह सच है कि कोई वीडियो है. उन्होंने सरकार से जवाब की मांग की.
इसी बीच कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह विस्फोट मामले के आरोपियों को बचाने की कोशिश है. सिंह के इतना कहते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों में तीखी नोंकझोंक होने लगी.
भाजपा के एक अन्य सदस्य एल गणेशन ने मांग की कि कांग्रेस को ‘‘हिंदू आतंकवाद’’ शब्द गढ़ने के लिए माफी मांगनी चाहिए. इसी बीच दिग्विजय सिंह फिर बोलने के लिए उठे. तब गणेशन ने कहा ‘‘आप क्यों परेशान हो रहे हैं. मैं तो सिमी के बारे में बोल रहा हूं.’’
तब दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार और उस टीवी चैनल के बीच ‘‘मिलीभगत’’ है जिसने तथाकथित वीडियो दिखाया था. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय को भाजपा सदस्यों द्वारा उठाए गए बिंदुओं की प्रमाणिकता की जांच करनी चाहिए. इस पर उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि वह रिकॉर्ड देखेंगे और अगर कुछ उद्धृत किया गया होगा तो उसकी प्रामाणिकता की जांच की जानी चाहिए.
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि जो मामले अदालतों में लंबित हों उन्हें सदन में नहीं उठाया जा सकता. इस पर कुरियन ने कहा कि राज्यसभा कार्यालय के लिए यह पता लगाना संभव नहीं है कि मामला अदालत में है या नहीं.