न्यूज़ चैनल एक सुर में हमारी सामरिक ताकत का गुणगान करते नहीं थक रहे लेकिन आज कैग ने संसद में जो रिपोर्ट रखी है, उसने सारे दावों की पोल खोल दी है. चीन और पाकिस्तान से भारी तनाव के बीच सरकारी खातों का ऑडिट करने वाली संस्था सीएजी ने सेना के पास गोला-बारूद में भारी कमी होने की रिपोर्ट संसद में दाखिल की है.
इसके मुताबिक 10 दिन के सघन टकराव की स्थिति के लिए भी पर्याप्त गोला-बारूद नहीं है. सीएजी की शुक्रवार को संसद में रखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्मी हेडक्वॉर्टर ने 2009 से 2013 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की, उनमें अधिकतर जनवरी 2017 तक पेंडिंग थे.
(2013 से ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड की ओर से सप्लाई किए जाने वाले गोला-बारूद की गुणवत्ता और मात्रा में कमी पर ध्यान दिलाया गया, लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. प्रॉडक्शन टारगेट में कमी कायम रही. रिजेक्ट हुए या काम न आने लायक गोला-बारूद को हटाने या रिपेयर करने में भी यही रुख रहा. गोला-बारूद के डिपो में अग्निशमनकर्मियों की कमी रही और उपकरणों से हादसे का खतरा रहा.)
जो ब्रेकेट में है वो हालिया सरकार की जिम्मेदारी थी. इससे इंकार नहीं किया जा सकता. हालांकि इस खबर का एक रुख और भी है जो परदे के पीछे है. ये एक तगड़ी संभावना है.
चीन की युद्ध तकनीक प्राचीन काल से हर युद्ध में बिलकुल एकसी रही है. चीन ‘होता’ और कुछ है और ‘बताता’ और कुछ है. मसलन यदि वह सीमा पर युद्ध की तैयारी कर चुका होगा तो भी सामने सामान्य ही बना रहेगा. वह दुश्मन की तैयारी भांपकर चुपके से चूहे की तरह घुस जाता है.
कैग की ये रिपोर्ट ‘चूहेदानी’ भी हो सकती है. चीन को फंसाने की एक चाल. ये संभावना इसलिए भी लग रही है क्योंकि आयुध भंडार खत्म होने की खबर को दो साल होने आए हैं. इस बीच सरकार और सेना ने मिलकर आयुध भंडार को बढ़ाने की दिशा में ख़ासा काम किया है. मुझे तो ये रिपोर्ट चूहेदानी ही नज़र आ रही है.
और यदि कैग की रिपोर्ट सच है जिसकी भी तगड़ी सम्भावना है, तो भैया ढाई युद्ध तो छोड़िये, सरहद बचाना मुश्किल होगा. बहरहाल कैग की ये रिपोर्ट कल ख़ासा शोर मचाने वाली है. कल सोशल मीडिया का तापमान कुछ ज्यादा होगा और कांग्रेसी मेंढकों के पुनः टर्राने की भी प्रबल संभावना है.