झेलता अन्याय हूँ,
धैर्य का पर्याय हूँ,
मौन साधे देखता हूँ,
बैठता निरुपाय हूँ,
अवसरों के पेड़ से मैं,
टूटता एक पर्ण हूँ,
मैं सवर्ण हूँ |
पा रहा आलोचना हूँ,
शाम का मैं गुड़-चना हूँ,
लील जाओ तुम चबाकर,
इस नियति को ही बना हूँ,
कौरवों के सौ जनों में,
एक ही विकर्ण हूँ,
मैं सवर्ण हूँ |
योग्यता का मूल्य ना हो,
मूर्खता को वंदना,
फिर कहाँ आए समझ में,
सत्य की अभिनन्दना,
योग्यता को पीठ लादे,
ढो रहा सा कर्ण हूँ,
मैं सवर्ण हूँ |
नौलखा एक हार भी हो,
तुम अगर सरकार भी हो,
पर कहोगे पद-दलित हूँ,
ये भले कुविचार ही हो,
मैं भले रोते न रोऊँ,
मार्ग में सोते न सोऊँ,
आज रोटी एक खाकर,
कल भले सपने सँजोऊँ,
पर मिलेगी रार मुझको,
सैकड़ों धिक्कार मुझको,
सत्य तुम भी जानते हो,
मन-ह्रदय में मानते हो,
जब खुली प्रतियोगिता हो,
जीतना ना जानते हो,
वार करने तुम छिपे हो,
मैं बहादुर वर्ण हूँ,
मैं सवर्ण हूँ |