नई दिल्ली. संसद के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन समाजवादी सांसद नरेश अग्रवाल ने हिन्दू देवी देवताओं का शर्मनाक तरीक़े से अपमान किया. इस पर भाजपा के सदस्यों ने कड़ा ऐतराज़ किया और माँग की कि उनके इस बयान को सदन की कार्रवाई से निकाला जाये और नरेश अग्रवाल को सदन से माफ़ी माँगने की माँग की.
उपसभापति ने बयान को तो कार्रवाई से निकाल दिया लेकिन नरेश अग्रवाल अड़े रहे कि वह माफ़ी नहीं माँगेंगे. उनके ही दल के रामगोपाल यादव ने कहा कि चाहे सदन चले या न चले पर नरेश अग्रवाल माफ़ी नहीं माँगेंगे. इसके बाद भाजपा सदस्यों की कड़ी आपत्ति और हंगामे के बीच सभापति ने सदन को स्थगित कर दिया.
दरअसल विपक्ष ने आज मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की. इस दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बीजेपी और आएसएस के लोग मॉब लिंचिंग की घटनाओं में शामिल होते हैं. इस पर बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने आजाद के बयान का जवाब देते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग करने वाले क्या अपने गले में गौरक्षक का साइन बोर्ड लगाकर रखते हैं?
इस बीच समाजवादी पार्टी से सांसद नरेश अग्रवाल ने बोलना शुरू किया और उनके एक बयान से बवाल मच गया. नरेश अग्रवाल ने कहा कि कुछ लोगों ने खुद को हिंदू धर्म का ठेकेदार मान लिया है भाजपा व विहिप सरीखे लोग कहते थे कि जो हमारा सर्टिफिकेट लेकर नहीं आएगा, वो हिंदू नहीं है
बाद में उन्होंने कहा कि व्हिस्की में विष्णु बसे, रम में बसे श्रीराम, जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान, बोला सियापत रामचंद्र की जय.
नरेश अग्रवाल ने जैसे ही ये विवादित लाइनें पढ़ीं, वैसे ही राज्यसभा में बीजेपी नेताओं ने जोरादार हंगामा शुरू कर दिया और नरेश अग्रवाल से माफी की मांग करने लगे.
नरेश अग्रवाल की इस बात को लेकर बीजेपी के भूपेंद्र यादव ने अग्रवाल से माफी मांगने की बात कही. लेकिन अग्रवाल यही नहीं रुके, फिर उन्होंने कहा कि गाय हमारी माता है तो बैल क्या हुआ, आखिर बछड़ा हमारा क्या हुआ इस पर सदन में बवाल मच गया.
बीजेपी नेताओं ने इस दौरान नारा लगाना शुरू कर दिया कि श्री राम का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान. इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली और वरिष्ठ नेता अनंत कुमार ने कहा कि सदन में ऐसी भाषा के लिए आप पर एफआईआर हो सकती है.
बयान पर बवाल मचता देख नरेश अग्रवाल ने अपना बयान वापस लेते हुए उस पर माफी माँगने की बजाय खेद जताया. नरेश अग्रवाल की खेद व्यक्त करने के बाद उनका बयान राज्यसभा की कार्रवाई से हटा दिया गया है.
प्रश्न यह है कि कि क्या नरेश अग्रवाल किसी और धर्म के लिये ऐसी टिप्पणी कर सकते हैं और अगर यह बयान नरेश अग्रवाल ने सदन से बाहर दिया होता तो उनकी गिरफ़्तारी होती और मुक़दमा चलता.