…तो वहीं पटक के पेल दिए जाते नरेश अग्रवाल

साल-डेढ़ साल पहले का किस्सा है. आज तक चैनल पर अंजना ओम कश्यप और अशोक सिंघल ने स्मृति ईरानी को अपने एक कार्यक्रम में बुला रखा था. दर्शकों के रूप में सामने सचमुच की पब्लिक बैठा रखी थी. वरना स्टूडियो में जब ऐसे कार्यक्रम शूट किये जाते हैं तो दर्शकों की जगह जूनियर आर्टिस्ट भाड़े पर बुला लिए जाते हैं.

अशोक सिंघल ने स्मृति ईरानी से पूछ लिया कि मोदी ने आप में ऐसा क्या देखा कि कैबिनेट मंत्री बना दिया.

स्मृति ईरानी ने बस यही बात पकड़ ली और पब्लिक को एक मिनट में समझा दिया कि पत्रकार अशोक सिंघल का प्रश्न “आप में मोदी ने क्या देखा” इस वाक्य में Sexual overtone है… ये एक महिला के लिए अपमानजनक प्रश्न है…

सामने बैठे दर्शक भड़क गए… सेट पर बवाल मच गया… दर्शक स्टेज पर चढ़ गए और उन्होंने अशोक सिंघल को कॉलर से धर लिया… वो तो भला हो कि सिक्योरिटी का इंतज़ाम था वरना उस दिन अशोक सिंघल और अंजना ओम कश्यप समेत पूरा आज तक बल भर पिटा होता…

स्मृति ईरानी चूंकि स्टेज पर ही थीं सो उन्होंने बात सम्हाली… उसके बाद अगले दिन समूचे मीडिया जगत में इसकी प्रतिक्रिया हुई… आज तक ने कान पकड़े… आज के बाद फिर कभी स्मृति ईरानी को किसी कार्यक्रम में नही बुलायेंगे…

बाद में जब मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हुआ और जब स्मृति ईरानी से मानव संसाधन छीन के कपड़ा थमा के कथित डिमोशन कर दिया गया तो ये कयास लगे कि इनके डिमोशन में वह आज तक वाली घटना भी एक कारण बनी… मोदी और संघ दोनों नाराज थे…

बात ये है कि मोदी और संघ ज़रूरत से ज़्यादा नर्म हैं. हमारे जैसा सांसद होता राज्य सभा में तो वहीं नरेश अग्रवाल को पटक के पेल देता… फिर जो होता देखा जाता…

[सपा नेता की हिमाक़त, शराब से की हिंदू देवी-देवताओं की तुलना]

भाजपा नेता खाकी हाफ पैंट पहन के कुछ ज़्यादा ही गांधी-गांधी करने लगे हैं. इसके विपरीत कांग्रेस, कम्युनिस्ट, टीएमसी, सपा, बसपा जैसी पार्टियां ज़्यादा शुचिता और संस्कार का ढोंग नहीं करतीं.

भाजपा को संघ के इस नकली शुचिता संस्कार के ढोंग को त्याग के थोड़ा आक्रामक रुख अपनाना चाहिए. नरेश अग्रवाल की वहीं संसद में ही जम के सुताई होनी चाहिए थी.

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