बैठ गया है, अब जल्दी ही लेट जाएगा हाथी

90 के दशक में जब कि बाजी कांग्रेस के हाथ से खिसक के भाजपा और लोहिया जी के समाजवादी चेलों की झोली में जा रही थी… लड़ाई मंडल और कमंडल की हो गयी थी… आडवाणी जी ने कमंडल को तो साध लिया पर सच पूछा जाए तो भाजपा मंडल को कभी भी साध नही पाई. जातीय राजनीति में लोहिया के चेले आगे निकल गए.

आज पूरे 25 साल बाद भाजपा की लीडरशिप ने मंडल के चेलों को घुटनों पर ला दिया है. कल राज्य सभा में मायावती ने जिस प्रकार घुटने टेक पलायन किया उसपे गौर कीजिए. मायावती ने कल बस यूं ही आवेश गुस्से में आ के इस्तीफा नही दिया है.

मोदी, अमित शाह ने हाथी को पूंछ से पकड़ के बैठा लिया है.

आज मायावती की यूपी की राजनीति में इतनी भी औकात नही बची है कि एक अदद राज्यसभा सीट जीत ले. राज्यसभा में पुनः निर्वाचित होने के लिए उन्हें लालू यादव की RJD से मदद लेनी होगी जिससे बसपा काडर और ज़्यादा हतोत्साहित होगा.

अगले कुछ महीनों में यूपी में दो लोकसभा सीटों पर मध्यावधि चुनाव होना है. गोरखपुर और फूलपुर. ये दोनों सीटें योगी जी और केशव प्रसाद जी मौर्य के यूपी विधानसभा में चले जाने के कारण खाली होंगी. गोरखपुर में मायावती और संयुक्त विपक्ष की दाल गलने वाली नही.

अलबत्ता फूलपुर में महागठबंधन बना के और मायावती को उम्मीदवार बना के विपक्ष कोशिश कर सकता है. पर महागठबंधन बनने के बाद भी लड़ाई बेहद मुश्किल होगी. 2014 में फूलपुर से अकेले केशव प्रसाद मौर्य ने 52% से ज़्यादा वोट ले लिया था.

फूलपुर में 2 लाख से ज़्यादा पटेल वोट है. 2014 में पटेल वोट 3 जगह बँटा था और भाजपा को बमुश्किल 25% पटेल वोट मिला था. अब अगर मायावती फूलपुर से विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार होती हैं तो पटेल वोट enblock shift हो के भाजपा में आने की पूरी संभावना है.

ज़मीनी हकीकत ये है कि भाजपा की स्थिति 2014 की तुलना में 2017 में सुधरी है और 2018 में भाजपा का वोट बैंक और ज़्यादा consolidate होगा. दलित और OBC वोट का बहुत तेज़ी से मायावती और मुलायम से मोहभंग हो रहा है. मुस्लिम वोट में ठीक ठाक सेंध लग चुकी है.

मायावती चारों तरफ से घिर चुकी हैं. राज्यसभा से इस्तीफे का नाटक उनकी आखिरी कोशिश है अपना किला बचाने की. लालू यादव के खिलाफ CBI के कसते शिकंजे ने भी अपना काम किया है. हालांकि फिलहाल मोदी जी मायावती पर हाथ डालने की गलती नही करेंगे पर मायावती पर सीबीआई का दबाव बना के रखेंगे.

बस यूं समझिए कि हाथी बैठ गया है. जल्दी ही लेट जाएगा.

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