अटूट विश्वास के साथ नाम स्मरण करना ही आस्था और श्रद्धा का पर्याय है. हरि के प्रदेश हरियाणा में प्राचीन काल से ही भक्ति की धारा निरंतर बहती रही है। यही कारण है कि प्रदेश के गांवों और शहरों में विभिन्न देवी-देवताओं को गहरी आस्था के साथ पूजा जाता है.
कुरुक्षेत्र जिले के इस्माइलाबाद कस्बे के बीच स्थित गुरुगोरखनाथ धाम भी श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. यह धाम साधु-संतों के रमणीय स्थान के रूप में भी जाना जाता है.
इस धार्मिक स्थान पर आरंभ से ही संत महात्माओं ने अपने सद्कर्मो से मानव जाति का उत्थान किया है. श्रावण मास की त्रियोदशी को यहां पर उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ गुरु गोरखनाथ धाम में गहरी आस्था को प्रकट करती है.
जनश्रुति के अनुसार महाराजा रणजीत जब चितौड़गढ़ के राजा थे तो उनके राजगुरु बाबा भोलानाथ थे जिनको भगवान शिव का रूप माना गया है. बाबा भोलानाथ ने ही इस्माइलाबाद में इस गुरु गोरखनाथ धाम की स्थापना की तथा अष्टांग योग का प्रचार किया. यहीं पर उन्होंने मानव जाति को प्रेम तथा सद्भाव का पाठ पढ़ाया. इतना ही नहीं वे अपनी योग सिद्धि से आम जन का कल्याण भी करते थे और उन्होंने अपने जीवन में ब्राह्मण व गाय को आदर के साथ विशेष स्थान दिया. मानव कल्याण के अनेक रास्ते सुझाने वाले बाबा भोलानाथ के चमत्कार आज भी ग्रामीणों की जुबां पर चढे़ हुए हैं.
श्रद्धालुओं का यह भी कहना है कि बाबा भोलानाथ ने ग्रामीणों के आग्रह पर एक बार आसमान से गिरते ओले एक खेत में उतार लिए थे ताकि किसानों की फसल में नुकसान न हो तथा उन्होंने इस्माइलाबाद की जमीन में कभी ओलावृष्टि से फसल का नुकसान न होने का वरदान भी दिया जो आज तक कायम है.
उन्होंने यह भी कहा था कि इस धाम में उनकी गद्दी सदैव चलेगी तथा इस पर विराजमान संत उनका ही स्वरूप होगा. उन्होंने यहीं पर जिंदा समाधि लेकर नश्वर संसार से विदा ली। उनके बाद बाबा दूधाधारीनाथ, दूनीनाथ, कस्तूरीनाथ, तुलसीनाथ, शांतिनाथ और गिरधारीनाथ ने इस धाम की गद्दी को सुशोभित किया.
यहां भगवान शंकर का शक्ति स्वरूप माना जाने वाला पवित्र संकटेश्वर महादेव शिवलिंग भी स्थापित किया गया है जिस पर श्रावण मास में चौबीस घंटे जल चढ़ता है. गोसेवा के निमित्त यहां पर गऊशाला का निर्माण भी किया गया है. इस गुरु गोरखनाथ धाम में वर्तमान में गुरु गद्दी पर विराजमान महंत चरणनाथ प्राणी मात्र को नामदान देकर प्रभु-भक्ति का मार्ग दिखा रहे हैं.
इस धाम का भव्य तथा विशाल भवन श्रद्धालुओं को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. देशभर में प्रसिद्ध इस धार्मिक स्थल का मुख्य द्वार, धूणा स्थल व बारह दरी भी अत्यंत आकर्षक हैं तथा धाम में जगह-जगह शीशे की मीनाकारी भी अद्भुत व दर्शनीय है. महाशिवरात्रि पर यहां लगने वाले विशाल मेले के दिन पूरा गोरखनाथ धाम शिव के जयकारों से गूंज उठता है.