सर्गियो लियॉन की कालजयी फ़िल्म ‘द गुड, द बैड एंड द अग्ली’ के क्लाइमेक्स में, क्लिंट ईस्टवुड का चरित्र ब्लॉन्डी, इली वल्लच के चरित्र टुको से फिलॉस्फिकली कहता है – “मेरे दोस्त, दुनिया में दो तरह के लोग होते है, एक जिसके हाथ में भरी हुई बंदूक होती है और दूसरे जो कब्र खोदते है. तुम कब्र खोदो.”
हम ने हाथ में भरी बंदूक पकड़ने से हमेशा से परहेज़ रक्खा है और उसका ही नतीजा है कि हम कश्मीर से लेकर केरल से लेकर बंगाल तक सिर्फ कब्र ही खोद रहे है. हम पहले या अकेले नहीं है जिसने अपनी कब्र खोदी है, हमसे पहले भी लोग थे, कुछ को इतिहास में सिर्फ एक नाम से जाना जाता है और कुछ आज इतिहास लिख रहे है.
यहूदियों ने भी 2000 वर्षो तक अपनी कब्र ही खोदी है लेकिन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने कब्रें खोदना बन्द कर के, भरी बन्दूकों को हाथ में ले लिया और आज इतिहास में दफन होने की बजाय इतिहास लिख रहे है. और यह सब उन्होंने किसी सरकार के समर्थन से या सहायता के किया था.
हमें यह कब्र खोदने का काम छोड़ना होगा और आगे बढ़ते हुए, इतिहास से सीख कर 1920 के फिलिस्तीन के यहूदियों का अनुसरण करना होगा.
जब 1920 में, ब्रिटिश शासन के नियंत्रण के फिलिस्तीनी क्षेत्र में बसी यहूदियों की बस्ती में, अरब के लोग लूटपाट और हत्याए कर रहे थे तब ब्रिटिश प्रशासन की अकर्मण्यता से असुरक्षित यहूदियों की रक्षा के लिए 100 यहूदियों ने हगनह (Haganah) का गठन किया था. जिसने ब्रिटिश कानून से आगे बढ़ते हुए खुद की रक्षा के लिए शस्त्र उठाये थे.
इसमें बाद में लोग जुड़ते चले गए थे. इसी तर्ज़ पर बाद में 1931 में इटज़ेल (Etzel), 1940 में लेही (Lehi) और 1941 में पलमच (Palmach) संगठन बने और यहूदियों ने अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी थी.
1948 में जब इज़रायल स्वतंत्र हुआ और ब्रिटिश सेना ने इलाके को छोड़ दिया, तब इज़रायल पर कब्ज़ा करने के लिए सभी अरब के राष्ट्रो ने सामूहिक आक्रमण किया था.
उस वक्त, इज़रायल की अपनी कोई सेना भी नहीं थी. तब यही सब संग़ठन, एक में विलय होकर इज़रायल की सेना बने थे और उन्होंने अरबों को हरा दिया था.
आज इज़रायल और उसका यहूदी इसलिए ज़िंदा है क्योंकि 1920 में 100 यहूदियों ने हगनह (Haganah) बनाई थी.