भरवां आलू : अनिर्वचनीय स्वाद और वैसी ही सूरत

ये “भरवाँ” शब्द जादुई होता है.. इससे आभास तो होता है कि बात की जा रही है किसी “बाहरी कवच या खोल की”, पर बिना उस पदार्थ की बात किये बात अधूरी होती है जिसे हम भरवाँ में भरते हैं..

वैसे तो भरवाँ की category में बहुत से items है.. भरवाँ भिन्डी, भरवाँ बैंगन, भरवाँ करेला आदि.. पर मेरे जैसे “आलू Lovers” के लिए “भरवाँ आलू” से ज्यादा लज़्ज़तदार कुछ औऱ नहीं..

ससुरी ये डिश ऐसी है कि बनाते बनाते ही मुंह में पानी आने लगता है.. उबले आलू को बीच से काटकर जब उसमे मसाला भरा जाने लगता है, उम्मीद कायम होने लगती है कि आज जीभ को मदहोश कर देने वाला स्वाद मिलने वाला है..

मसाला भरने के बाद आलू को या तो अगरबत्ती वाली सींक से बींध दिया या फिर धागे से बाँधा और उतार दिया सरसों के तेल में तलने को.. वहां वो तल कर लाल हो रहा है, यहाँ आँखों में चमक औऱ जीभ में लचक बढ़ती जा रही है..

फिर जो स्वाद आता है न खाने में, उसे ही शास्त्रों में “अनिर्वचनीय” अर्थात बोलकर न बता सकने योग्य कहा गया है..

विधि

आलू उबाल कर छील लें, बीचोंबीच से लंबाई में काट लें.. गरम मसाला, सब्ज़ी मसाला, घर का बना अमचूर या बाज़ार का अमचुर पाउडर, लाल मिर्च, बहुत थोड़ी सी हल्दी, बहुत थोड़ी सी काली मिर्च पाउडर, स्वादानुसार नमक लेकर आपस में अच्छे से मिक्स कर लें…

अब आलू के दोनों pieces के बीच में सैंडविच जैसे उस मिश्रण को रखकर दोनों pieces आपस में जोड़ दें… इसे अगरबत्ती की सींक से बींध दें या फिर धागे से लपेट दें जिससे तेल में fry करते समय दोनों pieces अलग न हों…

अब कढ़ाई में सरसों के तेल में फ्राई करें, केवल और केवल सरसों का तेल, mind it.. हर तरफ से उलट पलट कर घुमा घुमा कर फ्राई करें.. ध्यान रहे deep fry नहीं करना है…

अब तेल निथारकर आलू निकाल लें.. अगरबत्ती की सींक या धागा अलग कर लें.. अब थोड़े हरी धनिया के पत्ते काटकर सजावट कर लें.. खाएं खिलाएं और enjoy करें…

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