90 के दशक के उत्तरार्ध की बात है. उन दिनों की जब बिहार में उनके पेशाब से चिराग जलते थे… साल कायदे से याद नही… उन दिनों मैं वाराणसी के UP College में कुश्ती प्रशिक्षक के पद पर तैनात था.
मेरे साथ एक एथलेटिक्स के कोच भी थे. उनके एक रिश्तेदार आये हुए थे. वो बिहार के सिंचाई विभाग में ExEn, बोले तो Executive Engineer के पद पर तैनात थे. उन्होंने खुद आप बीती सुनाई थी.
बताने लगे कि कैसे उन्होंने अपना ट्रान्सफर बिहार में एक मलाईदार पोस्ट पर कराया. उन्होंने एक एमएलए से अपने तबादले के विषय में बात की. विधायक ने आश्वासन दिया, काम हो जाएगा.
एक हफ्ते बाद एमएलए, इंजीनियर साहब को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर गया. वे पेड़ के नीचे बैठे दातुन रगड़ रहे थे. दूर से ही दुआ सलाम हुई.
एमएलए ने इशारे से बताया, यही वो इंजीनियर साहब हैं जिनके तबादले की बात हुई थी.
उन्होंने इशारे से कहा. हाँ-हाँ ठीक है. हो जाएगा. जाइये अंदर जा के मिल लीजिये.
इंजीनियर साहब को सीएम आवास में एक कार्यालय में बैठा के अपनी Liasoning Fee 50.000 रूपए ले के एमएलए साहब चले गए.
सीएम निवास के एक कमरे में एक कार्यालय में, एक क्लर्क नुमा व्यक्ति ने उनसे पूछा… अच्छा फलाने विभाग में हो? फलाना जगह पोस्टिंग चाहिए???
उसके बाद उस क्लर्क ने इंजीनियर साहब की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा निकाला… यहां घर. यहां मकान. यहां दुकान. ये प्लाट वो प्लाट…
अब इंजीनियर साहब का माथा ठनका… साले पूरी जन्म कुंडली ले के बैठे हैं?
फिर उस क्लर्क ने कागजों का एक पुलिंदा निकाला… यहाँ दस्तखत कर दीजिए.
इंजीनियर साहब को काटो तो खून नहीं… उनके पटना वाले घर की sale deed (विक्रय पत्र) थी.
इंजीनियर साहब ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया…
उस क्लर्क ने पूछा. अरे ट्रांसफर कराना है न?
नहीं जी… हमको कोई ट्रांसफर नहीं करवाना…
अरे ऐसे कैसे नहीं कराना??? ट्रांसफर तो हो चुका… ये देखिये तबादला आदेश… अब ये वापस थोड़े न होगा… चलिए हस्ताक्षर कीजिये.
इंजीनियर साहब टस से मस न हुए.
क्लर्क ने सामने खड़े दो मुस्टंडों की ओर इशारा किया… ले जाइए साहब को…
वो दोनों इंजीनियर साहब को मुख्यमंत्री आवास के एक कोने में बने एक कमरे में ले गए. वहाँ एकदम यांत्रिक तरीके से. एक एक्सपर्ट शल्य चिकित्सक की तरह… उनके दोनों हाथ-पैर बांध दिए गए. छत से लटके एक हुक से बंधी रस्सी कमर में बांध दी गयी…
और फिर सामने झुका के उनके दोनों हाथ सामने बंधे एक हुक से बांध दिए गए. उनमें से एक मुस्टंडे ने पुलिसिया बेंत से ताबड़ तोड़ 10 बेंत इंजीनियर साहब के पिछवाड़े पे मारे.
इंजीनियर साहब ने बताया. पहले दो-तीन तो मुझे याद हैं… उसके बाद के याद नहीं… उसके बाद तो मैं बेहोश हो चुका था. होश आया तो मुझे कमरे में पड़ी एक चौकी पे लिटा रखा था और मेरे मुंह पे पानी के छींटे मारे जा रहे थे.
मुझे पानी पिला के. मुंह धो के फिर एक टेबल पे ले आये. मेरे सामने फिर कागज़ लाये गए. मैंने चुपचाप अपने मकान की sale deed पे हस्ताक्षर कर दिए और transfer letter ले लिया.
इंजीनियर साहब जब वहाँ से चलने लगे तो वो पहले वाले आदमी ने उन्हें वापस बुलाया… कैसे बेवक़ूफ़ आदमी हो बे? कौन बनाया रे तुमको ExEn?
और ये जो मकान दुकान प्लाट सब बनाये हो. हम नहीं जानते का कि कैसे बनाये हो? साले. जो पोस्टिंग कराए हो उसमें अगले दो साल में कितना माल बनाओगे? उसमें से हमको का दोगे?
इंजीनियर साहब ने कहा कि मुझे बात समझ आ गयी थी. भाई साब आप यकीन नहीं मानेंगे. हमने उस दो साल में उसी पटना में उस से भी आलीशान 3 मकान बनाये.
रेलवे के IRCTC के दो होटलों के ठेके की एवज में लालू ने पटना में दो एकड़ ज़मीन ले ली. अगर सचमुच खोजा जाएगा तो पूरे बिहार में और देश भर में लालू के कुनबे की ऐसी 10.000 संपत्तियां निकल के आएंगी. लालू ने बिहार को पूरे 15 साल लूटा है.
अभी जिस 2000 करोड़ की संपत्ति की चर्चा हो रही है वो तो Ice berg की tip भी नहीं. असली माल तो तब सामने आएगा जब बेनामी सम्पत्ति पर सर्जिकल स्ट्राइक होगी.
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