अप्रत्यक्ष करों में सुधार की पहल 2003 में शुरू हुई. अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने 2003 में जीएसटी विधेयक प्रस्तावित किया. 2011 में पहली बार यह विधेयक लाया गया. 140 देशों में जीएसटी लागू है और 1954 में फ्रांस जीएसटी लागू करने वाला पहला देश बना.
2000 में बाजपेयी सरकार ने जीएसटी पर विचार के लिए विशेषाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था. 2005 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आम बजट में इसको सार्वजनिक तौर पर रखा था.
जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन (122वां) विधेयक आठ अगस्त 2016 को लोकसभा में पास हो गया.
जीएसटी से कर आधार बढ़ेगा, रोजगार और आर्थिक विकास में बढ़त होगी. दाम कम होने से वस्तुओं और सेवाओं का ज्यादा उपभोग बढ़ेगा. गरीबों के लिए जरूरी चीजें सस्ती होंगी. बैंकों में गरीबों को लोन मिल सकेगा.
अब यह बातें… समझ के सस्ते-महंगे हो चले हमें-आपको… बच्चे स्कूलों से लौट कर समझायेंगे.
‘एक देश एक कर’ के नारे के साथ तीस जून की आधी रात से लागू हुआ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अभी तक किसी की समझ में नहीं आया हो तो माध्यमिक शिक्षा परिषद… उत्तर प्रदेश ने इसे समझाने का जिम्मा उठा लिया है.
नई पीढ़ी इस नई कर प्रणाली को ठीक से समझ सके, इसके नफा-नुकसान के बारे में जान सके, इसलिए माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश ने दसवीं क्लास के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम उर्फ सिलेबस में इस बार शामिल किया है.
सिलेबस में उन चीजों की पूरी फेहरिस्त दी गयी है जो सस्ती होंगी और जो महंगी होंगी. साथ ही जीएसटी के दायरे से बाहर वाली वस्तुओं के बारे में भी बताया गया. देश को पंद्रह अरब से ज्यादा की आय होगी. कौन-कौन से कर खत्म हुए और वैट क्या होता है, उसके बारे में बताया है.
सिलेबस तैयार होकर किताबें प्रकाशित हो गयी थीं. जीएसटी पारित होने के बाद संशोधन करके पांच पेज के इस चैप्टर में जीएसटी को समझाया गया है. ‘जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर)’ नाम के इस चैप्टर में जीएसटी की अवधारणा, पृष्ठभूमि, संविधान संशोधन, समाप्त होने वाले कर, जनता को लाभ, महंगी-सस्ती होने वाली वस्तुएं, मूल्य वर्धित कर यानी वैट के बारे में समझाया गया है.
नया सिलेबस बाजार में आ गया है, उपलब्ध है.
हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकाल के : इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के.
जय राष्ट्र-एकीकरण : जय सर्व शिक्षा अभियान : जय प्रौढ़ शिक्षा अभियान : आओ कुंदन बेटा स्कूल चलें हम.