पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था. बेटा इतना मेधावी नहीं था कि PMT क्लियर कर लेता. इसलिए दलालों से MBBS की सीट खरीदने का उपक्रम हुआ. ज़मीन, जायदाद जेवर गिरवी रख के 35 लाख दलालों को दिए. वहाँ धोखा हो गया.
फिर किसी रूसी देश में लड़के का एडमिशन कराया गया. वहाँ भी चल नहीं पाया. फेल होने लगा. Depression में रहने लगा. रक्षाबंधन पर घर आया और यहाँ फांसी लगा ली. 20 दिन बाद माँ-बाप और बहन ने भी कीटनाशक खा के आत्म हत्या कर ली.
अपने mediocre बेटे को डॉक्टर बनाने की झूठी महत्वाकांक्षा और आत्मश्लाघा ने पूरा परिवार लील लिया. माँ-बाप अपने सपने, अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं…
मैंने देखा है कि कुछ माँ-बाप अपने बच्चों को topper बनाने के लिए इतना ज़्यादा अनर्गल दबाव डालते हैं कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है. आधुनिक स्कूली शिक्षा बच्चे की evaluation और grading ऐसे करती है जैसे सेब के बाग़ में सेब की, की जाती है. पूरे देश के करोड़ों बच्चों को एक ही syllabus पढ़ाया जा रहा है.
जंगल में सभी पशुओं को एकत्र कर सबका इम्तहान लिया जा रहा है और पेड़ पर चढ़ने की क्षमता देख के रैंकिंग निकाली जा रही है. यह शिक्षा व्यवस्था ये भूल जाती है कि इस प्रश्नपत्र में तो बेचारा हाथी का बच्चा फेल हो जाएगा और बन्दर फर्स्ट आ जाएगा.
अब पूरे जंगल में ये बात फ़ैल गयी कि कामयाब वो जो झट से कूद के पेड़ पर चढ़ जाए. बाकी सबका जीवन व्यर्थ है.
सो उन सब जानवरों ने जिनके बच्चे कूद के झटपट पेड़ पर न चढ़ पाए, उनके लिए कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल गए… यहाँ पर बच्चों को पेड़ पर चढ़ना सिखाया जाता है.
और चल पड़े हाथी, जिराफ, शेर और सांड़, भैंसे और समंदर की सब मछलियाँ चल पड़ीं अपने बच्चों के साथ, कोचिंग इंस्टिट्यूट की ओर… हमारा बिटवा भी पेड़ पर चढ़ेगा और हमारा नाम रोशन करेगा.
हाथी के घर लड़का हुआ… तो उसने उसे गोद में ले के कहा… हमरी जिनगी का एक्के मक़सद है… हमार बिटवा पेड़ पर चढ़ेगा. और जब बिटवा पेड़ पर नहीं चढ़ पाया, तो हाथी ने सपरिवार ख़ुदकुशी कर ली.
अपने बच्चे को पहचानिए. वो क्या है, ये जानिये. हाथी है कि शेर, चीता, लकडबग्घा, जिराफ, ऊँट है कि मछली, या फिर हंस, मोर या कोयल… क्या पता वो चींटी ही हो…
और यदि चींटी है आपका बच्चा, तो हताश-निराश न हों… चींटी धरती का सबसे परिश्रमी जीव है और अपने खुद के वज़न की तुलना में एक हज़ार गुना ज़्यादा वज़न उठा सकती है… इसलिए उसे चींटी समझ धिक्कारिये मत.