याद कीजिए स्वामी स्वरूपानंद ने जब हिंदुओं को कहा था ‘साईं को पूजना छोड़ दो, ये करके तुम पाप के भागी बन रहे हो’. इसके बाद देश के अधिकांश मंदिरों में स्थापित साईं प्रतिमाओं को हटा कर प्रांगण में लगा दिया गया.
ये बात सच है कि एक फ़क़ीर को हम सनातनी परंपरा में कैसे शामिल कर सकते हैं. वे एक संत माने जा सकते हैं लेकिन राम-कृष्ण के बराबर रखने का कोई ठोस कारण नहीं बनता.
तो स्वरूपानंद के बयान के बाद शिरडी के मंदिर में भी अवश्य भक्तों की कमी हुई है. भले ही 10 प्रतिशत हुई हो.
अब साईं संस्थान मंदिर का प्रचार करने के लिए सेलेब्रेटी की तलाश में है. सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्चन से संपर्क किया गया है.
कोई कारण नहीं कि ये दोनों मना कर दे. सचिन कौन से साईं के भक्त थे बताने की जरूरत नहीं और अमिताभ विशुद्ध व्यवसायिक अभिनेता हैं इसलिए वे मना कर देंगे, ऐसा नहीं लगता.
क्या वाकई में शिव-राम-कृष्ण की सनातनी परंपरा में साईं को जोड़ा जा सकता है.