भाजपा को किसी भी हिंदूवादी संगठन से ज़्यादा फ़ायदा पहुंचाते हैं ओवैसी-बरक़ती जैसे लोग

राजनीति करना यदि इतना ही आसान होता तो वर्षों से राजनीति कर रहे नेता कभी नहीं हारते. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हर वक्त नाना प्रकार के प्रपंच करने पड़ते हैं, नये-नये हथकंडे अपनाने होते हैं.

चुनावी समर में पार्टियों के द्वारा ऐसे प्रत्याशी उतारने होते हैं जो हर हाल में जीतने की कला जानते हों. इतना ही नहीं लगभग सभी पार्टियाँ निर्दलीयों को पैसे देकर मैदान में उतारती हैं ताकि उनके विरोधियों के वोटों को काटा जा सके. और यदि वे निर्दलीय विरोधी दल का मामूली वोट भी काट दे तो जीत की संभावना प्रबल बन जाती है.

किसी पार्टी की प्रबंधन की क्षमता भी इन्हीं विशेषताओं की वजह से आँकी जाती है, जिसका प्रबंधन जितना अच्छा वह उतनी ही ज्यादा सफल होगी. खैर, ये तो आम बातें हैं राजनीति में और सभी समझते भी हैं.

परंतु एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है वो ये कि, आपका प्रबंधन यदि किसी खास वर्ग या समूह का ध्रुवीकरण आपके पक्ष में करवाने में सफल होता है तो यह निश्चित है कि आप कभी भी हार नहीं सकते है… यह ध्रुवीकरण जाति, धर्म या संप्रदाय इनमें से किसी भी एक के आधार पर हो सकता है.

याद कीजिए मौलाना बरकती को जब उसने एक मंच से मोदी के खिलाफ फतवा दिया था… उस मंच पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के भी कई नेता थे… मोदी के सिर के बाल मूंडने वाले को 25 लाख देने की पेशकश करते हुए उसने समूचे देश में सनसनी फैला दी थी.

देश भर के मोदी समर्थक लाल-पीले होने लगे थे… उनका खून खौलने लगा था… कोई उसे गिरफ्तार करने को कहता तो कोई कड़ी सज़ा की माँग करने लगा था… पर आखिर में हुआ क्या? कुछ भी तो नहीं.

परंतु कुछ क्यों नहीं हुआ, क्यों नहीं कार्रवाई हुई उस पर… यदि आप समझ जाएंगे तो आप भी राजनीतिज्ञ बन जाएंगे.

मैंने दर्जनों बार टीवी पर ओवैसी (बड़े वाले यानी असदुद्दीन) का इंटरव्यू सुना है… चाहे वन टू वन हो या फिर टीवी डिबेट हो… उससे हमेशा दो प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं.

पहला – “आपके भाई अकबरूद्दीन ओवैसी ने कहा था कि यदि 15 मिनट के लिए पुलिस हटा ली जाए तो भारत के 25 करोड़ मुसलमान मिल कर सभी हिन्दुओं का सफाया कर सकते हैं… इसे आप किस तरह से देखते हैं?… क्या आप अपने भाई से सहमत हैं?”

तब ओवैसी चेहरे पर बिना कोई भाव लाये कहता कि… ‘चूँकि यह मामला कोर्ट में है तो इस पर राय देने या सहमत होने का कोई मतलब नहीं निकलता है’.

दूसरा प्रश्न – “सभी पार्टियाँ आपके ऊपर इल्जाम लगाती हैं कि आपकी पार्टी भाजपा की B टीम हैं, और उसे फायदा पहुँचाने के लिए आप अपना उम्मीदवार उतारते हैं.”

अब इस प्रश्न पर मैंने उसे हमेशा मुस्कुराते हुए ही देखा है… एक ऐसी मुस्कुराहट जैसे कि आप किसी मासूम बच्चे से पूछें कि बेटा बताओ तुम्हारे हाथ में क्या है?… और वह बच्चा दोनों हाथों को अपने पीछे छुपाकर कहे कि कुछ नहीं है, और कहते हुए मुस्कुराने लगता है.

तो जवाब में ओवैसी कहते हैं कि – “अरे भाई, यदि ऐसी बात है तो पहले ये बताओ कि भाजपा वहाँ कैसे जीत गई जहाँ मेरे उम्मीदवार नहीं खड़े थे?… क्या यूपी में मेरे उम्मीदवार थे? महाराष्ट्र… हरियाणा… उत्तराखंड… गोवा… मणिपुर में क्या मेरी वजह से भाजपा जीती है?”

अब इंटरव्यू लेने वाला पत्रकार निरूत्तर हो जाता, पर मुस्कुरा जरूर देता.

अभी-अभी दो दिन पहले छोटे ओवैसी ने एक सभा को संबोधित किया… जिसमें बमुश्किल कुछ हजार लोग रहे होंगे.

उसके भड़काऊ भाषण पर मोदी समर्थक इतने गरम हो गये कि ऐसे में वो कहीं राह चलते दिख जाता तो लोग उसकी धुनाई कर देते, ठीक जैसे बरकती की हुई थी कोलकाता की सड़क पर.

पर आप यकीन जानिए कि भाजपा के रणनीतिकार और प्रबंधन उन धुनाई करने वालों से खुश नहीं होता, वजह कि ऐसे लोग कानून को अपने हाथ में कैसे ले सकते हैं? ये गलत बात है किसी को इतनी सी बात पर मारना पिटना. आप किये धरे पर पानी कैसे फेर सकते हैं भई?… उसने अगर दुबारा ऐसा भाषण ना दिया तो?

अब देखिए, कल का दिन… सभी टीवी चैनलों और अखबारों में इस भाषण को प्रमुखता से स्थान मिला… स्पेशल डिबेट हुए… इंडिया टीवी तो कल रात 9 बजे के रजत शर्मा के न्यूज प्रोग्राम में उन दो लाइनों के बीच कहीं भी बीप नहीं लगाई गई… टाइम्स नाऊ और रिपब्लिक टीवी पर तो मैं देख ही रहा था बारी-बारी से… कुछ चैनलों को छोड़कर सभी ने दिखाया था.

हैदराबाद की एक छोटी सी सभा में ओवैसी के बयानों का असर पूरे देश में हुआ होगा… और यह असर भाजपा को फायदा या नुकसान पहुँचायेगा यदि आप समझ जाएंगे तो ये समझ लें कि आप भी राजनीति समझने लगे हैं.

वैसे भी मोदी का ध्यान अभी सिर्फ काम पर है… उन्होंने पहले ही कहा है कि चुनाव के आखिरी साल में वे राजनीति करेंगे उसके पहले सिर्फ काम करेंगे.

भाजपा को जितना फायदा हिन्दुवादी संगठन पहुँचा सकते हैं उससे कहीं ज्यादा फायदा ‘ओवैसी ब्रदर्स’ और ‘बरकती’ जैसे लोग ही पहुँचाएँगे यह निश्चित है.

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