प्राचीन काल की बात है जब एक छोटे बच्चे को कहीं लिखा हुआ एक जुमला मिल गया. उसमें लिखा था ‘Whatsoever thy hands findeth to do, do it with thy might’, यानि कि जो भी काम करो चाहे वो बड़ा हो या छोटा इसकी परवाह मत करो, उसे पूरी निष्ठा से करो.
पता नहीं बच्चे को क्या सूझा कि उसने इसी वाक्य को अपना जीवन मन्त्र बना लिया. आगे चलकर ये बच्चा मशहूर चिकित्सक हुआ, हो सकता है आपने भी डॉ बिधान चन्द्र रॉय का नाम सुना होगा. ये सिर्फ जाने माने चिकित्सक ही नहीं थे, इन्हें सबसे लम्बे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहने वाले लोगों में से एक होने के लिए भी जाना जाता है.
डॉक्टर को भगवान का दर्जा देने की परंपरा के पीछे एक मामूली से Rx का भी योगदान है. डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर जो Rx लिखा होता है उसका मतलब है “Rest is with Christ”, यानि आप ये दवाएं-इलाज करें और बाकी सब ईसा के हाथ में है.
चाणक्य नीतियों में से एक कहती है जहाँ पांच जरूरी चीज़ें ना हों वहां एक पल भी नहीं रहना चाहिए, ये पांच जरूरी चीज़ें है एक तो कोई धनी सेठ, दूसरा कोई ज्ञानी, तीसरा शासक-राजा, चौथी चीज़ नदी है और पांचवा चिकित्सक.
किसी और व्यक्ति की तकलीफ कम करने के लिए या उसकी बीमारी के निदान में समय भी लगता है. ये समय एक चिकित्सक अक्सर अपने परिवार, प्रिय जनों को दिए जाने वाले समय में कटौती कर के निकालता है. ज़्यादातर लोगों को ये जानकारी भी होती है, इसलिए भी चिकित्सक को सम्मान मिलता है.
हिप्पोक्रेटस् वैसे लोगों को कहा जाता है, को कहते तो कुछ और हैं, मगर करते कुछ और हैं. अजीब बात ये है कि डॉक्टर 2000 साल से ज्यादा वक्त से अपनी पढ़ाई पूरी करते ही, हिप्पोक्रेटस् से ही मिलते जुलते नाम वाला, हिप्पोक्रेटिक ओथ लेते हैं (दोनों अलग है).
ये जो जन सेवा की कसम होती है वो किसी भी पेशे में नैतिक व्यवहार यानि एथिक्स का सबसे लम्बा इतिहास होता है. सिसरो (Cicero) ने काफी पहले कहा था कि दूसरों को स्वास्थ्य का लाभ देने में मनुष्य ईश्वर के सबसे पास आ जाता है.
जैसे दो-चार भटके हुए मासूमों की वजह से एक पूरी कौम को आतंकी मानना गलत होता है, ठीक वैसे ही सभी डॉक्टरों को मेडिकल टेस्ट करने वालों से कमीशन लेने वाला, या फिर दवा कंपनियों के एम.आर. से दवा लिखने के लिए रिश्वत खाने वाला मानना बिलकुल भी उचित नहीं. हमें ये याद रखना चाहिए कि इलाज के इस पेशे में दो-चार प्रतिशत भले लोग भी हैं.
बाकी ये जो एक जुलाई को डॉक्टरों को बधाई दी जा रही थी, वो डॉ. बिधान चन्द्र रॉय का जन्मदिन याद रखे जाने के लिए शुरू की गई थी. वो इलाज के लिए दवाओं के इस्तेमाल के साथ खादी पहनने की सलाह भी देते थे. सोशल मीडिया पर डॉ. बिधान चन्द्र रॉय का नाम नहीं दिखा, उन्हें भी याद रखा जाना चाहिए.