हिन्दोस्तान उम्मीद से है!

नोटबंदी के बाद जीएसटी का लागू होना देश के लिए वैसा ही है जैसे मानव का चाँद पर पहला कदम रखना. मेरे देखे तो आज रात बारह बजे के बाद देश दूसरी बार स्वतन्त्र होने जा रहा है.

ये आर्थिक आज़ादी देश के लिए बहुत मायने रखती है. आपकी सरकार ने आर्थिक सुधारों की ओर एक सशक्त कदम उठाया है इसलिए आप में से अधिकांश इस फैसले में सरकार के साथ खड़े हैं.

और जो विरोध में हैं, मैं उन्हें कतई देशद्रोही नहीं कहूंगा. ग्राहक को चूना लगाने वाले, टैक्स चोरी करने वाले और जीएसटी को लाने का श्रेय लेने के लिए मरे जा रहे विपक्षी नेताओं को ये आर्थिक आज़ादी जरूर रास नहीं आ रही है. खासतौर से चूना लगाने वाले बहुत दुःखी हैं और फेंकू को जार-जार कोस रहे हैं.

मां भारती करवट ले रही है मित्रों. ये एक ऐसा अवसर है, जिसके बारे में इतिहास भविष्य को बताते हुए गर्व से भर उठेगा. और कांग्रेस के बारे में क्या कहूं. ये पार्टी मृत्युशैया पर पड़ी हुई है. किसान आंदोलन से इसके निष्प्राण शरीर में जरूर कुछ संचार हुआ था लेकिन आंदोलन हिंसक होने पर आमजन का समर्थन खत्म हो गया.

आज कांग्रेसी मित्रों के लिए गुलज़ार की एक कविता पेश है. इस कविता को लिखने के लिए गुलज़ार को कांग्रेस को धन्यवाद देना चाहिए क्योकि न कांग्रेस ने देश की दुर्दशा की होती और न गुलज़ार ये कविता लिखते.

‘हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं
एक है जिसका सर नवें बादल में है
दूसरा जिसका सर अभी दलदल में है

एक है जो सतरंगी थाम के उठता है
दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है
फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा
एक है दौड़ लगाने को तैयार खड़ा है
‘अग्नि’ पर रख पांव उड़ जाने को तैयार खड़ा है
हिंदुस्तान उम्मीद से है!

आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है
साठ साल आजादी के… हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है

अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा…!!
हिन्दोस्तान उम्मीद से है…’

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