जुनैद की हत्या को लेकर कविताबाज़ों ने कविताएं लिखना शुरू कर दिया: असहिष्णुता बढ़ गयी है, देश बदनाम हो रहा है, क्योंकि तू जुनैद था, हम शर्मिंदा हैं, वायदा झूठा निकला, जुनैद को मारो आदि-आदि.
हत्या किसी की भी हो या कोई भी करे, एक जघन्य अपराध है. कानून को तुरंत इस बारे में कार्रवाई करनी चाहिए. रही बात ऐसे अवसरों पर लेखकों/कवियों की नैतिक ज़िम्मेदारी की.उसके लिए निवेदन है कि अगर एक समुदाय विशेष के लिए ही हमारा कवि आंसू बहाने लग जाय और दूसरे समुदाय के लिये चुप्पी साध ले, तो यह कवि का दोगलापन ही कहलायेगा.
मैं बात कर रहा हूँ कश्मीर की बेटी सरला भट की. एक कविता कश्मीर की इस लाडली बेटी पर भी लिखी जानी चाहिए. वही सरला भट जिसके साथ हैवानों ने वह किया जिसको बयान नहीं किया जा सकता. गूगल में सब दर्ज है.
कवि लोग सरला के साथ हुए पिशाचपन को पढ़ें और मेरी बात का समर्थन करें. इस हैवानियत और दरिंदगी को उजागर करने वाली एक ‘जुनैद-टाइप’ सशक्त कविता लिखें ताकि मैं कविता लिखने वालों की कलम को सलाम कर सकूँ. कविता का शीर्षक रखें “क्योंकि वह सरला थी”.
हालांकि ऐसा करने से सरला भट वापस नहीं आ सकती, मगर इतना भरोसा कश्मीरी पण्डित समुदाय को अवश्य हो सकता है कि उसके सुख-दुःख में भी आंसू बहाने वाले,कविताएं लिखने वाले आदि इस धर्म-निरपेक्ष देश में मौजूद हैं, अन्यथा यह समझ लिया जायगा कि कवि-मित्र भी अपने लेखन से वोट की राजनीति कर रहे हैं.
सरला भट : कश्मीर की बेटी तुझे सलाम