पूर्ववर्ती सरकार में उत्तर प्रदेश सूचना विभाग का प्रमुख सचिव रहते हुए, सूचना विभाग के सालाना बजट रुपये 92 लाख को 600 करोड़ सालाना कर अगले 4 सालों में कुल रुपये 2400 करोड़, सूबे के दलाल मानसिकता के मीडियाकर्मियों, मालिकानों के बीच बंदरबांट करने वाले कु. मायावती और अखिलेश यादव के बेहद करीबी आईएएस अफसर नवनीत सहगल के सबसे करीबी दलाल साथी रोहित सहाय के काले कारनामों की जांच करेगी IB की लखनऊ शाखा.
आइये पहले जानते हैं कौन है नवनीत सहगल का दलाल रोहित
चंद सालों से दिल्ली में रहने वाला सहगल का यह दलाल मूल रूप से वाराणसी का रहने वाला है. यही रोहित साल 2000 में रिलायंस कंपनी में बतौर मैनेजर का काम करता था, लेकिन कुछ दिनों बाद जब उसकी नौकरी छूट गयी तो वह लखनऊ रहते हुए दिल्ली की एक रियल एस्टेट कंपनी में लाइजनिंग का कार्य देखने लगा. कुछ सालों में ही उसने लखनऊ-दिल्ली में रहते-काम करते हुए अपना नेटवर्क सत्ता के गलियारे से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों तक बना लिया.
जब रोहित का नेटवर्क तत्कालीन सीबीआई और ईडी के कई बड़े अफसरों से हो गया.. तो उसने दिल्ली के रियल एस्टेट कंपनी की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद रोहित ने सीबीआई और ईडी की दलाली करनी शुरू कर दी. इन सालों में ही ईडी और सीबीआई की दलाली से इसने बेशुमार दौलत कमाई.
आइये जानें कैसे प्रगाढ़ हुए रोहित और सहगल के संबंध
अपने छात्र जीवन में BHU में नेतागिरी करने वाला रोहित अब दिल्ली का बड़ा दलाल ही नहीं बल्कि बड़ा आदमी भी बन चुका था. रोहित से नवनीत सहगल के संबंध मायावती के कार्यकाल में और भी प्रगाढ़ उस समय हो गए, जब NRHM घोटाले की जांच में सीबीआई के चंगुल में वह फंस गए.
इस जांच में सीबीआई ने बड़े-बड़े दिग्गजों पर अपना शिकंजा कसना शुरू किया तो सहगल को भी खुद पर खतरा दिखा. जांच में सहगल के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद भी इसी रोहित ने मदद करते हुए सब मैनेज कर दिया और सहगल बच गए. जबकि इस मामले में बसपा सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा आज भी जेल की सलाखों के पीछे से निकल नहीं सके हैं.
अब सहगल के इसी दलाल की जांच करेगी आईबी
NRHM घोटाले की जांच के दौरान जब सीबीआई ने यूपी के आईएएस अफसर प्रदीप शुक्ला को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भेजा गया… तो उनकी आईएएस पत्नी आराधना शुक्ला ने सीबीआई पर ये आरोप भी लगाए और शिकायत भी की थी, कि सहगल के खिलाफ सबूत मिलने के बाद भी सीबीआई ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? बावजूद इस शिकायत के तत्कालीन सरकारों में कुछ नहीं हुआ.
इस बार जब आगरा एक्सप्रेस वे और अन्य कार्यों की जांच सीएम योगी ने सीबीआई को सौंपी है, तो फिर से रोहित के जरिये सहगल अपनी काली करतूतों से सीबीआई से बचने का रास्ता खोज रहे हैं.
लेकिन न तो इस दफा लखनऊ में, और न ही दिल्ली में दलालों के लिए कोई जगह बनती दिख रही है. इसी का नतीजा है कि पिछली सरकार के दौरान आकंठ भ्रष्ट आचरण में डूबे किसी को कोई पैरवी नसीब होती दिख नहीं रही.
उत्तर प्रदेश में पिछली बसपा-सपा सरकारों के दौरान हुए ऐतिहासिक आर्थिक भ्रष्टाचारों की फाइलें जैसे-जैसे खुलने के संयोग बन रहे हैं… जनता की गाढ़ी कमाई और टैक्स लूटने वालों के अपराधों के खुलने का समय भी नजदीक आता जा रहा है.
गोमती रिवर फ्रंट, आगरा एक्सप्रेस वे, सूचना विभाग घोटाला सहित तमाम घोटाले बीती सरकार के लाइन में हैं हिसाब के जांच के बाद… तो रोहित जैसे दलालों के खिलाफ फौरी कार्यवाई एक बार फिर NHRM और बसपा के शासन वाले खेल की बची रह गईं परतें भी खोलेगी, ऐसा दिख रहा है.
भ्रष्टाचारी के खिलाफ ही कार्यवाई पर्याप्त नहीं, सत्ताओं की सेवा, दलाली कर उन्हें बचाते आये नेटवर्कों पर भी कानून का कहर बरपना ही चाहिए.
दलाल मानसिकता और मानसिकता का पोषण करने वालों पर संयुक्त प्रहार ही इस कोढ़ को हमेशा के लिए खत्म कर सकेगा.