नई दिल्ली. अवमानना के मामले में फरार चल रहे कलकत्ता हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कर्णन को तमिलनाडु से गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिरफ्तार किया गया.
कर्णन की गिरफ्तारी की पुष्टि उनके वकील पीटर रमेश ने की है. जस्टिस कर्णन को तमिलनाडु के कोयम्बटूर से गिरफ्तार किया गया है. कर्णन को भारत के प्रधान न्यायाधीश समेत शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के मामले में अवमानना का दोषी ठहराया गया है.
ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी पद पर बैठे हाई कोर्ट जज को सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि के मामले में जेल की सजा दी. जस्टिस कर्णन इसी महीने 12 जून को अपने पद से रिटायर हुए.
सजा दिए जाने के बाद से ही जस्टिस कर्णन लापता थे. कोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल से एक टीम कर्णन के होमटाउन चेन्नई भेजी गई थी, लेकिन वह नहीं मिल पाए. गिरफ्तारी से पहले जस्टिस कर्णन आखिरी बार चैन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखे गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को जस्टिस कर्णन को 6 महीने की सजा सुनाई थी, इसके बाद से ही 62 साल के जस्टिस कर्णन फरार थे. गिरफ्तारी के बाद तमिलनाडु पुलिस उन्हें चेन्नई लेकर गई है.
जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. इस संबंध में उन्होंने एक शिकायत भी की थी. उन्होंने CBI को इस शिकायत की जांच करने का आदेश दिया था.
जस्टिस कर्णन ने CBI को निर्देश देते हुए इस जांच की रिपोर्ट संसद को सौंपने के लिए कहा था. इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए CJI ने इसे अदालत की अवमानना बताया था.
इसके बाद 7 जजों की एक खंडपीठ का गठन किया गया, जिसने जस्टिस कर्णन के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना से जुड़ी कार्रवाई शुरू की.
अपने खिलाफ शुरू हुई अदालती कार्रवाई का सामना करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो बार जस्टिस कर्णन को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन कर्णन इस आदेश को अनसुना करते हुए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए.
फिर सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वॉरंट जारी किया. 9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराते हुए 6 महीने जेल की सजा सुनाई.
बता दें कि चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात जजों की एक बेंच ने जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया था.
इस फैसले के खिलाफ जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और 6 महीने की जेल की सजा को स्थगित करने की मांग की साथ ही अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग की, मगर उनकी याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया.