हमारी प्राथमिकता हम हैं, देश नहीं…

मोदी जी का एक भाषण सुना था जिसमें उन्होंने बताया था कि एक बार किसी देश में उनको छात्रों से मिलने का अवसर मिला था.

बातचीत के क्रम में उन्होंने सभी छात्रों से उनकी भविष्य की योजना के विषय में पूछा. सभी ने अपनी-अपनी योजनाओं के बारे में बताया पर चीन के छात्रों की बातों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया

उन सबका एक ही लक्ष्य था… पढ़ाई करके कुछ साल यहाँ नौकरी करेंगे और उसके बाद अपने देश वापस लौट जाएँगे.

मोदी जी ने जब इसका कारण पूछा तो उन लोगों ने उत्तर दिया- हमारी योग्यता का लाभ हमारे देश को मिलना चाहिए.

चीन के बाद सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश भारत है… भारतीयों की प्रतिभा का लोहा पूरा विश्व मानता है. जितने भारतवंशी विदेशों में हैं शायद उतनी किसी छोटे-मोटे देश की जनसंख्या होगी.

हमारी विशेषता है कि किसी तरह विदेश चले जाएं उसके बाद खुद को भी विदेशी ही मान लेते हैं… जिस देश में गए उसको ही अपना मान लिया. अपने देश लौटने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है अपने बच्चों की भी परवरिश ऐसी ही करते हैं जिससे वो भी कभी भारत में बसने की नहीं सोचें.

विदेश तो छोड़िए अपने गाँव/ शहर/ राज्य से बाहर निकला व्यक्ति भी वापस गाँव जाकर वहाँ के लिए कुछ करने की नहीं सोचता है, ना ही बच्चों को गाँव में ले जाना चाहता है.

हम अपने लिए पढ़ते हैं… हमारी सारी योग्यता अपने बीवी-बच्चों के काम आनी चाहिए… देश और समाज, गाँव का इस पर कोई अधिकार नहीं है.

हम भारतवासियों में स्वार्थ अपने उच्चतम स्तर पर पाया जाता है… हम पहले अपने विषय में सोचते हैं, उसके बाद सुविधाजनक हुआ तो कुछ और भी सोच लेते हैं… पर उपदेश देने और डायलॉग बोलने में हमसे बड़ा चैंपियन कोई नहीं हो सकता है.

जीएसटी से लाभ देश के राजस्व को होगा पर व्यापारियों को असुविधा हो सकती है इसलिए विरोध करेंगे… क्योंकि हमारी प्राथमिकता हम हैं, देश नहीं…

आज हम समाचार में देखते हैं अमुक देश में अमुक भारतीय मूल के अमुक व्यक्ति को कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली.

गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है… उधर उस अमुक व्यक्ति से पूछा जाता है तो वो अपने आपको अमेरिकन या उस देश विशेष का नागरिक मानने में गर्व महसूस करता है.

विदेश जा कर वहीं रह जाने वालों का एक सामान्य तर्क होता है… भारत में प्रतिभा का सम्मान नहीं है, सुविधाएं नहीं मिलती हैं… वहाँ भविष्य खराब हो जाएगा.

ये सब कहते समय भूल जाते हैं कि इस सुविधाविहीन देश में रहते हुए ही वो स्वयं इतने सक्षम हुए थे जिसके बल पर सुविधासंपन्न देश में रह रहे हैं.

जितनी प्रतिभा का पलायन देश से हुआ है उनमें से आधे ने भी देश को अपनी योग्यता का लाभ दिया होता तो आज परिदृश्य कुछ और होता, पर उन्होंने अपना भविष्य संवार लिया… अपने परिवार को सुविधासंपन्न जीवन दे दिया… उनका कर्तव्य पूरा हो गया

ऐसी मानसिकता वाले नागरिकों के देश में ज़ी न्यूज़, क्रिकेट जैसे खेल के मैच का बहिष्कार करने की अपील करके यदि यह समझ ले कि लोग उसका साथ देंगे… तो बहुत क्यूट हैं रोहित सरदाना

लोग यहाँ स्वच्छता अभियान में मोदी जी की बात भी नहीं मान रहे हैं तो ज़ी न्यूज़ क्या है भाई?

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